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पूजा-संग्रह।
॥ स्नान पूजा
॥ पांखडी गाथा ॥ चौतीसैं अतिशय जुओ। वचनातिशय सं. जुत्त । सो परमेसर देखि भवि, सिंघोसण संपत्त ॥१॥ ___ ढाल ॥ सिंहासन बैठा जगभाण, देखी भवियण गुणमणि खाण । जे दीठे तुझ निम्मल झाण, लहिये परम महोदय ठाण ॥ १॥ कुसुमांजलिमेलो आदि जिणन्दा ॥ तोराचरण कमल चोवीस, पूजोरे चोवीस,सोभागी चोवोस, वैरागी चोवीस जिणन्दा ॥ कुसुमांजलि मेलो
आदि जिणन्दा। (कुसुमांजलि हाथमें लेकर यह पढ़ते हुए चरणोंमें टीकी लगाना चाहिये )
गाथा ॥ जो निजगुण पज्जव रम्यो, तसु अनुभव ए गत्त । सुह पुग्गल आरोपतां । ज्योति सुरंग निरत्त ॥२॥
ढाल ॥ जो निज आतम गुण आनंदी,
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