SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 482
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अभय रत्तसार । ४५१ लियो ए, गोयम पहिलो सोस तो ॥ बंधव संजम सुवि करे, अनि भूइ आवेय तो ॥ नाम लेइ आभास करे, ते पण प्रतिबोधेय तो ॥ २०॥ इ अनुक्रम गणहररयण, थाप्या वोर इग्यार तो ॥ तो उपदेसे भुवन गुरु, संयमं व्रत बार तो || बिहुं उपवासें पारणो ए, आपण विरहंत तो, गोयम संयम जग सयल, जय जय कार करंत तो ॥ २१ ॥ वस्तु ॥ इन्द्रभूइ इंद्रभूइ चढि - यो बहुमान हुंकारो करि कंपतो, समवसरण पहु तो तुरंतो ॥ जे संसा सामि सवे, चरमनाह फेड़े फुरंततो || बोधबीज सज्जायमनें, गोयम भवहि विरत || दिक्ख लेई सिक्खा सही, गणहरपयसंपत्त ॥ २२ ॥ भास ॥ आज हुआ सुविहाण, आज पचेलिमां पुण्य भरो ॥ दीठा गोमय सामि, जो नियनय अमिय झरो । समवसरण मकार, जेजे संसा ऊपजे ए ॥ ते ते पर उपगार, कारण पूछे मुनि पवरो ॥ २३ ॥ जीहां दीजें For Private And Personal Use Only
SR No.020001
Book TitleAbhayratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherDanmal Shankardas Nahta
Publication Year1898
Total Pages788
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy