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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३४६ स्तवन -संग्रह | चबदे दो दो दो लाख, च्यार च्यार तिम च्यार चवद लख सूत्रे साख ॥ भू आप तेउ वाऊ वरण पत्तेय साधारण, बिति चौपण तिरि नारग सुर नर अनुक्रम धार ॥ २६ ॥ काय न आय न पारण न जोगी कुल नही जात, सादि अनंत भंग जिन आगम थित विज्ञात ॥ रोग न सोग न भोग जोग नही नारी लिंग, नहीय नपुंसक पुरसतणा नही अंग- उपांग ॥ २७ ॥ नाग दरस चारित वीरज ए च्यार अनंत, सिद्ध थया तेहथी सिद्धातै सिद्ध कहंत ॥ इम ए जीवविचार गाथाथी माषारूप श्रावक, आग्रहथी में कीनो सुगम सुगम सरूप ॥ २८ ॥ खरतर गच्छ भट्टारक श्रीजिनलाभ सूरीस, रत्नराज गणि ग्यानसार मुनि सीस जगीस ॥ संवत ससि रस वारण ससिहर धर सिरधार, माघ चोथ दिन कानो जैपुर नगर मभार ॥ २६ ॥ इति श्री जीवविचार-स्तवन संपूर्णम् ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020001
Book TitleAbhayratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherDanmal Shankardas Nahta
Publication Year1898
Total Pages788
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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