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अभय रत्नसार ।
एडलस्तोत्र' क्षेपकश्लोकान्निराकृत्य मूलमन्त्रकल्पानुसारेण लिखितं गणिभिः श्रीचमाकल्यागोपाध्यायैः, तदेवात्रास्माभिर्मुद्रितम् )
॥ अथ श्रीगौडी पाश्र्वजिन - वृद्धस्तत्रनम् ॥ ॥ ( दूहा ) वाणी ब्रह्मावादिनी, जागै जग विख्यात । पास तणां गुण गावतां मुज मुख वसज्यो मात ॥ १ ॥ नारंगे अहलपुरे, अहमदाबाद, पास । गौडीनो धणी जागतो, सहुनी पूरे आस ॥ २ ॥ सुभ बेला सुभ दिन घड़ी, मुहुरत एक मंडाण । प्रतिमा ते इह पासनी, थई प्रतिष्ठा जाण ॥ ३ ॥ ( ढाल) गुण हि विशाला मंगलीक माला, वामानो सुत साचोजी । धरण करण कंचण मणि माणक दे, गौडीनो धणी जाचौजी (०) || ४ || हिलपुर पाटण
मांहे प्रतिमा, तुरक त घर हुतीजी । अश्वनी भूमि अश्वनी पीडा, अश्वनी वालि विगूती जी (ग० ) ॥५॥ जागंतो जब जेहने कहिये, सुहणो
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