SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५४ कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ४४८. पे. नाम. आश्रव त्रिभंगी कवित्त, पृ. २२०आ, संपूर्ण. जै.क. द्यानतराय अग्रवाल, पहिं., पद्य, आदि: पचपन पचास तेतालीस छयालीस; अंति: करौ धरौ संवर ग्यान, गाथा-२. ४४९. पे. नाम. प्रकतिबंध पद-गणस्थानकगर्भित, पृ. २२०आ, संपूर्ण. जै.क. द्यानतराय अग्रवाल, पुहिं., पद्य, आदि: एक सौ सत्तरे एक सौ; अंति: आप अवधि पिछान, गाथा-३. ४५०. पे. नाम, कर्मउदय पद-गुणस्थानकगर्भित, पृ. २२०आ, संपूर्ण. जै.क. द्यानतराय अग्रवाल, पुहिं., पद्य, आदि: इक सौ सतरै इक सौ ग्यारै; अंति: उदै भिन्न तब सिद्ध सुकीय, गाथा-२. ४५१. पे. नाम. उदीरना त्रिभंगी, पृ. २२०आ-२२१अ, संपूर्ण. कर्मउदीरना पद-गुणस्थानकगर्भित, जै.क. द्यानतराय अग्रवाल, पुहि., पद्य, आदि: इक सौ सतरै एक सौ ग्यारै; अंति: करै ग्यान वल सोतु ग्यान, गाथा-४. ४५२. पे. नाम, सत्ता त्रिभंगी, पृ. २२१अ, संपूर्ण. कर्मसत्ता पद-गुणस्थानकगर्भित, जै.क. द्यानतराय अग्रवाल, पुहिं., पद्य, आदि: पहलै सौ अठताल दूजै सौ; अंति: घन उर्ध राजू सैंतालसौं, गाथा-४. ४५३. पे. नाम. भाव त्रिभंगी, पृ. २२१अ-२२१आ, संपूर्ण. भाव पद-गुणस्थानकगर्भित, जै.क. द्यानतराय अग्रवाल, पुहिं., पद्य, आदि: चौतीस बतीस तेतीस छतीस; अंति: ग्यानी ते वखाने है, गाथा-६. ४५४. पे. नाम. ७ नरक चार प्रकार के शरीर की ऊंचाई, पृ. २२१आ, संपूर्ण. देवनरक देहमान पद, जै.क. द्यानतराय अग्रवाल, पहिं., पद्य, आदि: सात मैं नरक मांहि पंचसै; अंति: सौ पढेउ सवा एक ख्यात है, गाथा-४, (वि. कृति के अंत में देहमान के अंक दिये हैं.) ४५५. पे. नाम. तीन बतीस फलावट, पृ. २२१आ, संपूर्ण. १४ राजलोकमान पद, जै.क. द्यानतराय अग्रवाल, पुहि., पद्य, आदि: नीचै वाय छ सै ठावन कोर; अंति: तिरासी चौसे औसनाइस है, गाथा-४, (वि. कृति के अंत में राजलोकमान के अंक दिये हैं.) ४५६. पे. नाम, तीनो लोक ऊंचे चौदे राजु का व्यौरा, पृ. २२१आ-२२२अ, संपूर्ण. १४ राजलोकमान पद, जै.क. द्यानतराय अग्रवाल, पुहिं., पद्य, आदि: सात नरक तलै एक राजू; अंति: सीस सिद्ध है मौ ध्याए है, गाथा-५, (वि. कृति के अंत में राजलोकमान के अंक दिये हैं.) ४५७. पे. नाम. अधोलोक संख्या विस्तार, पृ. २२२अ, संपूर्ण. अधोलोक संख्यामान पद, जै.क. द्यानतराय अग्रवाल, पुहिं., पद्य, आदि: नाडा संख्या सातमी नरक; अंति: नरक सेती हृदया सुखदाइ है, गाथा-३, (वि. कृति के अंत में संख्यामान पद के अंक दिये हैं.) ४५८. पे. नाम, सिद्धशिलामान पद, पृ. २२२अ-२२२आ, संपूर्ण. जै.क. द्यानतराय अग्रवाल, पुहिं., पद्य, आदि: चाप तिहाई सब त्रिसनाज; अंति: ताको नमोकार है, गाथा-४, (वि. कृति के अंत में सिद्धशिलामान के अंक दिये हैं.) ४५९. पे. नाम. १४ राजलोक का व्यौरा, पृ. २२२आ, संपूर्ण. १४ राजलोकमान पद, जै.क. द्यानतराय अग्रवाल, पुहिं., पद्य, आदि: लोक दक्षन उत्तर एक राजू; अंति: इस उनीस पइह सान है, गाथा-४, (वि. कृति के अंत में राजलोकमान के अंक दिये हैं.) ४६०. पे. नाम. अधोलोक रतन प्रभाव प्रथी प्रवान पद, पृ. २२२आ-२२३अ, संपूर्ण. ७ नरकमान पद, जै.क. द्यानतराय अग्रवाल, पुहि., पद्य, आदि: प्रथम नरक प्रमाने अधोलोक; अंति: नरक घर मामध दुखदानी है, गाथा-४, (वि. कृति के अंत में नरकमान के अंक दिये हैं.) ४६१. पे. नाम, नरक केवली का परमान, पृ. २२३अ, संपूर्ण. नरक बिलमान पद, जै.क. द्यानतराय अग्रवाल, पुहिं., पद्य, आदि: जोजन को अंत ओदथानक; अंति: जातै छुटै दुख रास है, गाथा-३, (वि. कृति के अंत में विलमान के अंक दिये हैं.) ४६२. पे. नाम. चौरासी लाख वलौं का व्यौरा, पृ. २२३अ, संपूर्ण, For Private and Personal Use Only
SR No.018084
Book TitleKailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 27
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2019
Total Pages624
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy