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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२७ हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.१५ २०. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ३आ, संपूर्ण. औपदेशिक सज्झाय-मित्रता, पुहिं., पद्य, आदि: नर तन को पा के मूरख; अंति: रोता फिजूल क्यों है, दोहा-५. २१. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-बेमेल विवाह, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण. __ औपदेशिक सज्झाय-बेमेल विवाह, मु. परमानंद, पुहिं., पद्य, आदि: म्हारो जनम अकारथ जाय; अंति: से संसार में फराएँगे, दोहा-८. २२. पे. नाम. वीरता सज्झाय, पृ. ४अ, संपूर्ण. पुहिं., पद्य, आदि: हम वीर की संतान है; अंति: से संसार में फराएंगे, दोहा-८. २३. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-विद्याभिलाषी, पृ. ४अ, संपूर्ण. औपदेशिक सज्झाय-विद्याभिलाषी, मु. परमानंद, पुहिं., पद्य, आदि: मंगल करो महाराज; अंति: परमानंद० गरीब निवाज, दोहा-६. २४. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-वृद्ध विवाह निषेधक, पृ. ४आ, संपूर्ण. औपदेशिक सज्झाय-वृद्धविवाह निषेध, पुहिं., पद्य, आदि: एक महाजन था धनदास; अंति: हृदय फटा जाता है., दोहा-१२. २५. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय- माता पिता की सेवा, पृ. ४आ-५अ, संपूर्ण. औपदेशिक सज्झाय-माता पिता की भक्ति, पुहिं., पद्य, आदि: माँ बाप से रख दोस्ती; अंति: तुम्हारा है भला, दोहा-९. २६. पे. नाम. मनुष्य जन्म सज्झाय, पृ. ५अ, संपूर्ण. औपदेशिक सज्झाय-मनुष्य जन्म दुर्लभता, मु. परमानंद, पुहिं., पद्य, आदि: जो गर्भ में दुःख था; अंति: भूला उसको याद कर, दोहा-७. २७. पे. नाम. प्रभुभक्ति पद, पृ. ५अ, संपूर्ण. पुहि., पद्य, आदि: ईश्वर तू लाज रख ले; अंति: लब पेहो नाम तेरा, दोहा-५. २८. पे. नाम. चपल स्वभाव परिहार, पृ. ५अ-५आ, संपूर्ण. पुहिं., पद्य, आदि: फंस गया नादान तू; अंति: तो ताप हरना सीख ले, दोहा-१२. २९. पे. नाम. बालविवाह परिहार, पृ. ५आ-६अ, संपूर्ण. बालविवाह परिहार सज्झाय, पुहि., पद्य, आदि: बचपन में करे विवाह; अंति: विदेशी हंसाने वाले, दोहा-६. ३०. पे. नाम. कन्या विक्रय परिहार सज्झाय, पृ. ६अ, संपूर्ण. __ औपदेशिक सज्झाय-कन्याविक्रय परिहार, पुहिं., पद्य, आदि: महाजन तुम कहाते हो; अंति: तिलक छापे लगाते हो, दोहा-६. ३१. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-पाश्चात्य संस्कृति परिहार, पृ. ६अ, संपूर्ण. औपदेशिक सज्झाय-पाश्चात्य संस्कृति परिहार, पुहिं., पद्य, आदि: जगदीश के हम अंश हैं; अंति: उनका मानो उपभोग है, दोहा-६. ३२. पे. नाम. नारी शिक्षा सज्झाय-पतिव्रत धर्म, पृ. ६अ, संपूर्ण. नारीशिक्षा सज्झाय-पतिव्रत धर्म, पुहिं., पद्य, आदि: सुख नारियों जो चाहो; अंति: प्रभु की शरण में आओ, दोहा-७. ३३. पे. नाम. गौहत्या निषेध सज्झाय, पृ. ६आ, संपूर्ण.. पुहि., पद्य, आदि: आओ प्यारो बनो रक्षक; अंति: यह आँखो से निहारा है, दोहा-७. ३४. पे. नाम. वेश्यावृत्ति निषेध सज्झाय, पृ. ७अ, संपूर्ण.. औपदेशिक सज्झाय-वेश्यावृत्ति निषेध, पुहिं., पद्य, आदि: हम हैं रंडीबाज; अंति: रंडी का जूठा खाया है, दोहा-७. ३५. पे. नाम. वृद्ध विवाह निषेध सज्झाय, पृ. ७आ, संपूर्ण. वृद्धविवाहनिषेध सज्झाय, पुहिं., पद्य, आदि: आए हम कन्यारत्न के; अंति: करनी को भोगने वाले, दोहा-८. ३६. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय-वृद्ध विवाह निषेध, पृ. ७आ, संपूर्ण. For Private and Personal Use Only
SR No.018061
Book TitleKailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2013
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size11 MB
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