SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 6
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रकाशकीय लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर में संग्रहीत हस्तप्रतों के इस सूचिपत्र को प्रकाशित करते हुए हम अत्यन्त आनन्द एवं हर्ष का अनुभव कर रहे हैं । भारत देश प्राचीन संस्कृति एवं सभ्यता का देश है। यहां अनेक धर्मसंस्थापकों ने धर्म की स्थापना करके मानव जीवन को उन्नत बनाने का सर्वोत्कृष्ट प्रयास किया है और पूरे विश्व को मार्गदर्शन दिया है। इन सभी धर्मोपदेशों का संग्रह हमारे प्राचीन ग्रंथों में उपलब्ध होता है । शनैः शनैः दर्शन एवं साहित्य का भी विकास होता रहा जिससे भारतीय साहित्य जगत् सतत समृद्ध होता रहा हैं । इन सभी ग्रंथों का संग्रह हमारे पूर्वजों ने पूज्यभाव से किया। नैसर्गिक आपदाओं, राजकीय आपत्तिओं एवं अनेक विपरीत परिस्थितियों में भी हमारे पूर्वजों ने इनका संरक्षण किया । इनमें से कालक्रमानुसार कुछ साहित्य नष्ट हो गया, तथापि आज हमारे पास जो साहित्य उपलब्ध है वह कम नहीं है । हमारी इस ज्ञान समृद्धि ने हमारी संस्कृति का भी संरक्षण किया है । इसीलिए हमारे ज्ञानभंडार-हस्तप्रत संग्रह हमारी संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं । ला.द. भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर विगत पांच दशकों से इन हस्तप्रतों के संरक्षण, संमार्जन एवं संशोधन में कार्यरत है। कई विद्वानों ने हस्तप्रतों के इन सूचिग्रंथों का उपयोग करके नया प्रकाश प्राप्त किया है। नए संशोधन एवं संपादन कार्य किये हैं। इन हस्तप्रत सूचिग्रंथों के अधिकतम उपयोग के लिए सूचिपत्र आवश्यक होता है। हम पूर्व में सूचिपत्र के चार भाग प्रकाशित कर चुके हैं । इसी शृंखला में यह पांचवां भाग भी प्रकाशित होने जा रहा है । हस्तप्रतों का सूचिकरण अत्यंत जटिल एवं श्रमसाध्य होता है । इस प्रकार का कार्य हम अपने संस्थान के वयोवृद्ध एवं विख्यात लिपिज्ञ पं. श्री लक्ष्मणभाई भोजक के सहयोग से संपन्न कर पाए हैं, इसके लिए हम उनके अत्यन्त आभारी हैं । साथ ही हस्तप्रत विभाग के डॉ. श्रीमती प्रीतिबहन पंचोली का योगदान भी सराहनीय रहा है। इन दोनों के सहयोग के बिना शायद ही हम यह कार्य संपन्न कर पाते । हस्तप्रत सूचिग्रंथ का प्रकाशन कार्य भी श्रमसाध्य होता है। प्रकाशन के प्रत्येक चरण पर हमारे संस्थान के संशोधन सलाहकार प्रो. कानजीभाई पटेल का मार्गदर्शन बहुमूल्य रहा । उनके सहयोग को भी हम भुला नहीं सकते । संगणकयन्त्र में सूचि को प्रविष्ट करना एवं विभिन्न प्रकार की सूचि को तैयार करने का कार्य श्री के यूरभाई भट्ट ने किया है एतदर्थ हम उनके आभारी हैं । प्रूफ रीडिंग का कार्य श्री नारणभाई पटेल ने किया है, उनके भी हम आभारी हैं । प्रस्तुत ग्रंथ के प्रकाशन में नेशनल आर्काइव्स, केन्द्र सरकार ने विशेष अनुदान दिया है और उनके ही अनुदान के कारण यह प्रकाशन कार्य संपन्न हुआ है। उनके इस सहयोग के लिए हम उनके भी अत्यन्त आभारी हैं । ___ हमें आशा है कि प्रस्तुत प्रकाशन भारतीय संस्कृति के अध्येताओं, संशोधकों तथा जिज्ञासओं के लिये उपयोगी सिद्ध होगा। २००३, अहमदाबाद जितेन्द्र बी. शाह नियामक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018021
Book TitleCatalogue of Manuscripts L D Institute of Indology Collection Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJitendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2003
Total Pages818
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy