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________________ ....१२२ FFFFFFF .. १४०० जिमभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांका ग्रंथर्नु नाम कर्ता भाषा संवत् । पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी. प्रधान विशेष नोंध १९१/५/ नाणाचित्तप्रकरण ..... प्रा.............. १४०० .........५९-६४ .. १८८ थी १९१ .....१२२ १९१/६ आवकविधिप्रकरण .... प्रा.............. १४०० .........६४-६६...१८८थी १९१ १९१/७, संजममंजरीप्रकरण ........ ....... १४०० |.........६६-६८ .. १८८ १९१/८. धर्मपद-धर्मशिक्षाप्रकरण ............... जिनवल्लभगणि ........ १४०० ..........१११.. १८८ १९१/९, सिन्धमवहरउस्तोत्र .... जिनदत्तसूरि ............ .........११-१२/..१८८ १९१/१० पार्श्वनाथस्तोत्र .... जिनदत्तसूरि ........... ........ .. १४०० .........१२-१४ .. १८८ १९१/११ सुभाषितगाथा ........ J............ १४०० ......... पत्र २... १८८ थी १९१ ... १२२ १९१/१२ नेमिनाथस्तोत्र जिनचन्द्रसूरि. ......... ............ १४०० ......... पत्र २..१८८ थी १९१ १९२ ... बृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण सटीक ............. भू.क.जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण, वृ.क. मलयगिरि आचार्य .........सं.प्रा.............. १४८९ ...........३४२,.... १९२ (१२).......१२३ ............... पत्र २.५ नथी १९३ ...- बृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण सटीक टिप्पणीसह मू.क.जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण, टी.क. मलयगिरिसूरि ......... ..सं.प्रा............. १३००...........२४९ .... १९३ (१-२) १९४ .... बृहत् क्षेत्रसमासप्रकरण सटीक अपूर्ण .....मू.क.जिनभद्रगणि .........प्रा.सं............. १४०० ...........२६७ ............१९४ ......१२४ पत्र ३थी७.६१.६२.७२.७४.७५.१२०,१२१,१२३/ क्षमाश्रमण, टी.क. थी१४४, १५४,१५७.१५८ नथी. मलयगिरि आचार्य ..... १९५..... बृहत्क्षेत्रसमासप्रकरण सटीक ............ मू.क.जिनभद्रगणि..... ..........२११.... १९५ + १९६ ..........३०८०. पत्र ७.३१,७५,७८,७९.१०५.१२४ थी १२७, क्षमाश्रमण वृ.क.सिद्धसूरि ............. ..१५० नथी. | उपकेशगच्छीय १९६ .... जंबूद्वीपक्षेत्रसमासवृत्ति ............... हरिभद्राचार्य ..............प्रा.सं............. १४००............ २६ .... १९५+ १९६ ......१२५ १९७ .... जंबूद्वीपक्षेत्रसमासवृत्ति .................. वृ.क.विजयसिंहसूरि ......प्रा.सं ............ १४०० .........११४ .... १९७ + १९८ ......१२५ थी ७.१२.२८,३० थी ४८.५५.५७.५८.६१, ६२.६९.९६,१०८ पत्रो नथी. आ प्रतिमां अडधाथी पण ओछा पत्र छे. १९८... बृहत्संग्रहणीप्रकरण सटीक ............. मू.क.जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण,टी.क. मलयगिरि आचार्य .........प्रा.सं..... ..........११९ /.... १९७ + १९८ -......१२५ lain Education Interation For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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