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________________ प्रयांक श्रेष्ठिनी............ त्रिभुवनी ..............श्रीकम................. श्रेष्ठी ............ दीपिका.............. ५९६ - विशेष नामों की सूची - परिशिष्ट १३ विशेषनाम किम् ग्रंथांक विशेषनाम ग्रंथांक विशेषनाम तजा ....................... श्रेष्ठी ............... जि.ता.१५.११९.२१७ ............१५५२,१६७८ देहणदेवी ............. श्रेष्ठिनी................................. लो.ता.३/८ तोडरमल्ल ..................जि.का.८५० दलहक ...जि.ता.२५६ दल्ला ................. श्रष्ठा ....................................जि .ता.४२६ त्रिभुवनदेवी.............. श्रेष्ठिनी जि.ता.२३९/२ दशराज ......त.ता.८ देव................... श्रेष्ठी .........................................त.ता.८ त्रिभुवनश्रेष्ठी .............. श्रेष्ठी जि.ता.२३० दंडधर ..जि.ता.२५९ देवकर्ण .................... राजा ................ जि.का.२२८,२४६,२४९,३८६, त्रिभुवनपालधौदा ........... श्रेष्ठिनी. जि.ता.२१७,२७०/४,२७२ दंडनायक जि.ता.२३५ .............................८५०,२२०८ त्रिभुवनमल्लदेव........ जि.ता.३४६/१ दाडिम..................... .जि.का.१०८६ | देवकी ..................... श्रेष्टिनी ..................................जि .ता.२२८ श्रेष्ठिनी जि.ता.३४० दशनचंद्र पं............... ..जि.का.२०४९ देवकुलपाटक ............. नगर ..................................जि.का.१६६५ जि.ता.२३७ दामोदर .................... .जि.ता.३४९ देवकुलिका जि.ता.२८.५० त्रैलोक्यगंड ................ विरुद............................ जि.ता.१३१ दीक्षादानोत्सव............ ........त.ता.८ | देवकुसल.................. लेखक-मुनि ........................ ... जि.का.४०९ दीपचंद्रजी ................ मुनि .................... जि.का.११०७,११०८,१२४४ देवगिरि .................... नगर .................................. जि.का.७१५ व्याख्या ............................... .जि.का.८५ देवगुप्तसूरि ........................ ........................ जि.ता.१९५,२५२ घटा........................ नगर .................... जि.का.७६२,८२१/२,८६३ दुर्गदत्त................... वंश ................................. ..जि.ता.४०८ देवचंद्र ..................... मुनि....................... जि.ता.३१४/१,३६१.१८९ यंभणपार्धनाथ ............ जि.ता.११९ दुर्लभराज ................ राजा .................जि.का.८५,जि.ता.२५९,२७०, देवचंद्र ..................... श्रेष्ठी ........................१९/६,२२८,जि.का.९० चारापद्रपुरीय.... ................ जि.ता.२०२ ................... २७२,३४०,३५१ | देवचंद्रसूरि ............. .............. जि.ता.१५,२३२ श्रेष्ठी ..जि.का.३६४ दुर्लभश्रेष्ठी ...... श्रेष्ठी ............................... जि.ता.२८,४९ देवड ....................... श्रेष्ठी .............................जि.ता.१९/६,२८३ थाहरू ........नि.का.१०८,था.का.२८९ दुलही. श्रेष्ठिनी.................................. जि.ता.२३० देवत.......................श्रेष्ठिनी .................................. जि.ता.२२८ थिरराज पं.......... लेखक.... ...जि.का.१०८ दुलीचंद महात्मा ... लेखक.............. जि.का.८४,१०८,५७४,१९७२ देवतिलकगणि ............ लेखक ........ जि.का.१४०५,१४८३,१५५२,१६७८ थिरराज................ श्रेष्ठी .................. जि.का.८५,१०८,था.का.६४ दूअक. श्रेष्टिनी... ..जि.ता.२२५ देवदत्त ................... ............जि.ता.११९ थिराख्यपुर ................. नगर ...... जि.का.२६१/१ श्रेष्ठी ...... ..........त.ता.८ देवधर...................... श्रेष्ठी ............ जि.ता.३४०,४०३/४,लोता.३/८ थिरुक सा............... .... था.का.६४ श्रेष्ठी ..... .................त.ता.८ देवनाग .................. .................जि.ता.२२५ थिरुकभंडारपुस्तिका..... .. जि.ता.१४९ श्रेष्ठी ........जि.ता.४०३/४ देवपत्तन ................... नगर ......................... जि.ता.२३२ बीदुक .....................श्रेष्ठी जि.ता.२३० श्रेष्ठी ....जि.ता.१७७/२,२३६,३४१,जि.का.१२७९ देवप्रभसूरि .......... ............जि.ता.२५६,३५६ श्रेष्ठिनी. जि.ता.२३२,३४० देवभद्रगणि ................ ..................जि.का.२२८.२३७,२४६, दयाकलशगणि.. .नि.का.१६२१ श्रेष्ठी ..... ......जि.का.१९४६ ... २४७.२४९.२५२,३८६.९९४ दयानंदगणि...... .जि.का.१४५० श्रेष्ठी .. .जि.ता.४०३/४ देवभद्र ................. ........... जि.ता.३८७/२ दयारतन गणि.. ..जि.का.२०४९ ........त.ता.८ देवभद्र .......... ............जि.ता.१९/६ दयासागर गणि.. ........जि.का.१४०२,१४२३, देयड जि.ता.३५७/२ देवभद्रसूरि ................ जि.ता.१५.१५७/५,२५५,२७०/२,१२४४ ... १४५२,१४५३,१४८३,१५३४, देल्हक ................ जि.ता.२५६ देवमूत्ति उपाध्याय ..... .................. जि.ता.२९७ गच्छ थावर श्रेष्ठी ............... श्रेल्ती श्रेष्ठी .. जिनी Jain Education International For Private&Personal Use Only wwwjainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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