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________________ संख्या सूचक शब्द संकेत. परिशिष्ट ९.५७९ सायक.mmsamusaman |स वर्तम....................... हरनयन....................... श्रीक ण्ठ ....................११ श्री भर्तृकर शाखा........२० सारि .... सप्तापि सप्ताश्च ति ................२.४,८,२० सिद्धि.. सिद्धिगुण सेनाश...सेनानी नेत्र सेना भारत... सोम हरहतपुर...... हरि .......... शंकर लोचन ................ शंख................ शतपत्र पत्र .......... शतमिवा .... शतमन्यु..... शतमुख ........ शमन ............. शम्भव शम्भुवाहू .................. शम्मु मुख शम्पुमूर्ति. शम्भू-....शर .......... शरद......... शरीर............ अंगार................ श्वेत श्वेत ज्योति सिन्धुर..... ...... शिलि मुख..........., ५,६,७ शिव................. १०,११,३० शिव नेत्र....................३ शिव मागे...................३ शिव वदन ...... शिव सूली ...............१९ शिवाक्ष......................... शिशिर........................ शीतकर ................. शीतगु शीत दथि........------- शीतरशिम्... शीतापु ............... शीता ............... शुक्रदृष्टि............... शुक्र मेन शुक्राचिष....................१६ समासद समय समाय समास समिति समीर. समीरण.. स्तवक ... स्त रम. स्वीकला ... ... ... . . ५ ३ घटक ......... षट्पद षोडश संयम. संयमभेद ... संस्कार ....... संक्रांति सुधांशु. सुधाकुण्ड .. सुधांक सुधा रुचिकला ......... सुनासिर . सुपार्श्वफणि ............ हरिदेव....... हरिभुन. हरिवसु.. हव्यवाहन.. हस्त ........ हस्तागुंलि .........-- हस्ति हक्तिकर........ हिमकर................. स्पर्श.. स्म र...... स्मरवाण................. शवं............. सम्पति ..... सम्प्रदाय... सरिकोष्ट.. सरिस्पति. सरोवर.... सर्व............................ ८ सर्वजित.....................२९ सलिलाकार ..................४ सविता ......................१२ शर्वरी ........ शबरीकान्त...................... शशधर........ शशमृत......................... शशांक शशि ........................१.१२ शशिकला ....................१६ १०० | शुभेतरा लेश्या....... ...... संघात...... सज्ञा .................४, १९ सदल....... सनकादि सन्ध्या , सपतन..... सप्त सप्तदश सप्त पर्व सुर.............. ५.७.८.१६.३५ सुरगजरद.....................४ सुरपति ................. १४.१६ सुरभवन ....................१४ सुरभेद. सुस्लोक सुखक्षसुरालय सुरेश सूत्र... सूर......... हिमज्योति हिमरुच.. हिरण्यरेता. हुताशय ...... | हृदय कमल.......... होत......-- शेवधि ...... शेष-शीर्थ....... शैल..... श्रम. श्रमण धर्म श्रवण.... सहस किरण ...............१२ सहाश....................१२ 21 | स्रोत स्विनी ............... १४ स्वप्न.......................१४ स्वर ..................५,६,७,८ स्वर्ग...............स्वर्ग व्रताग्नि ............... ५ स्वदण्ड ...................----- स्वाध्याय ....................' हय........................ ७,८ हरचक्षु........................ शिखर. शिखी शिनिकष्ट.................... ११ ---.१७ सागर... सामवेद शाखा ......... १००० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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