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________________ .............८३ .............८3 १११७ जिनभद्रसूरि ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथ, नाम कर्ता भाषा | __संवत् | पत्र संख्या । झेरोक्ष सी.जी. ग्रंथान विशेष नोंध ८२/१ ... दशवैकालिकसूत्र सटीक ...............मू.क. शय्यंभवसूरि टी.क. तिलकाचार्य .......प्रा.सं. ...... १३०४ .........११८६ .......८२(१-२) ..... ७००० ८२/२... संग्रहणी प्रकरण सटीक ................मू.क.श्रीचंद्रसूरी, टी.क.देवभद्रसूरी.... ..............१८७-२७५ .......८२(१-२) ३५०० ८२/३ ... कल्पसूत्र (पर्युषणाकल्प)................ भद्रबाहुस्वामी ........ २७६-३०५ .......८२(१-२) ८२/४ ... कल्पसूत्रचूर्णी ..... .............३०५-३२१ ........८२(१-२) ८२/५... कल्पसूत्रनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी ......३२१-३२३ .....८२(१-२) .गा.६८, १९०० ८२/६ ... कल्पसूत्र टिप्पनक ..... पृथ्वीचंद्रसूरि. १४०० .....३२३-३३८ .......८२(१-२) ८३/१ ... दशवैकालिकसूत्रवृत्ति ... हरिभद्रसूरि .. ૧૨૮૭ ......१-२०२ 1.........७००० ८३/२... दशवकालिकसूत्रनियुक्ति ................ भद्रबाहुस्वामी १२८९ ......२०३-२२१ .......गा.४४० ८३/३ ... दशवैकालिकसूत्र ...... शय्यंभवसूरि १२८९ .....२२२-२४७ 19000 ८४/१.. ओघनियुक्ति वृत्ति ........................ द्रोणाचार्य ............ .........१-१०५ ........८४(१-२) पत्र ८.२०८ नथी.१०, ४६ना टुकडा छे. पत्र १०५ मां हाथी अने कमळनां शोभनो छे ८४/२.. दशवकालिकसूत्रवृत्ति .................... हरिभद्र आचार्य ................१०६-२१२ ......८४ (१-२) पत्र २१२ मां हाथी, कळश, श्रीदेवी आदि चित्ररूप शोभनो छे. ८४/३ ... दशवकालिकनियुक्ति अपूर्ण .............. भद्रबाहुस्वामी ................ १०.......८४(१-२) ....... गा.३७९ - पत्र मुं नथी ८५/१... दशवकालिकसूत्रवृत्ति ................. हरिभद्र आचार्य .......१-१७३ /.......८५(१-२) ......७३ ...७००४ - पत्र १७३ मां शोभन छे. पत्र १७५,१७६, १८१ १८५,१८६,३४१ नथी. ८५/२... दशवकालिकचूर्णी ...................... स्थविर अगस्त्यसिंह ......... प्रा. ............ १२०० ...... १७४-३४१ /......८५ (१-२) पत्र ३३४ मां शोभन छे ८६ .... दशवकालिकवृत्ति त्रुटक अपूर्ण ......... हरिभद्र आचार्य .... ......... १३०० ...........२०८ ..............८६ .........७४ पत्र १ थी ५.७ थी १०,१४,१८.२३.२४.२७ थी ३१.३३.३४.३७,४०,४१,५१.५४.५७.६६.६८.६९| ८२.१११,११९,१५१,१९२ नथी. १९९ अपूर्ण छे ८७/१... दशवकालिकनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी वचमा घणा पाना खंडित थएला. घणां पाना अनु. १५मी शताब्दीमा लखाएल छे. पत्र ६१ नथी. ८७/२... दशवकालिकवृत्ति आचार्य हरिभद्र ..... ............ १४०० .........१-१७१ .............८७........७४ .......... ७000 ८८/१... दशवैकालिकसूत्र नियुक्ति वृत्ति सह ......मू.शय्यंभवसूरि... ...प्रा.सं सर्व ग्रं.८२७५. पत्र १३,२१५,२७१,२७२ नि.भद्रबाहुस्वामी.... पत्रो नथी. वृ.हरिभद्र आचार्य ........७२ ...... २ ...... Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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