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________________ संकेत सूची -33 | विद्यमान हो सकते है। फिरभी ध्यानसे हमने देखे न होने से वे भंडारमें नहीं है ऐसा सूचीपत्रमें सूचित कीया है । ग्रंथोंका अकारादिक्रम, संवत्वार सूचि तथा कर्तावार सूचि कोम्प्युटर द्वारा की गई है । इसलिए कोम्प्युटर की स्वाभाविक हस्य, दीर्घ या नामोंको थोडा उपर नीचे करने की भूलें उससे होती है वह यथावत् रखी है । तो वाचकवर्ग उसे सुधारकर पढ़ें और इस सूचिपन में हमने कहीं गुजराती और कहीं हिन्दी भाषाका प्रयोग किया है तो इस मिश्र भाषा प्रयोग के लिए वाचकवर्ग हमें क्षमा करे । नहीं है। (iv) डुका, ग्रंथांक ४२ के सामने झेरोक्ष कॉलममें '४१ थी ५' लिखा है वह यह सूचीत करता है की, ४२ नंबर के ग्रंथ की फोटोस्टेट कॉपी उसी भंडार के ४१, ४२.४३. ४४ और ४५ नंबरके पांचो ग्रंथों की फोटोस्टेट कॉपी के साथ एक ही प्लास्टीक की थैलीमें रखी गयी है । (1) डु.का, ग्रंथांक ६५ के सामने झेरोक्ष कॉलममें '६२...६९' लिखा है वह यह सूचित करता है की, उसी भंडार के ६२ से ६९ तक के कोई कोई ग्रंथ (क्रमशः सभी नहीं) की फोटोस्टेट कॉपीयोंके समूह के साथ यह नंबरका ग्रंथ एक ही प्लास्टीक की थैलीमें रखा गया है । और उस समूह में जो जो ग्रंथ रखे है उन उन नंबरों के सामने झेरोक्ष कॉलममें यही समूह सूचित कीया गया है । सातवी कॉलम सी.डी. नं. की है । उसमें जिन ग्रंथोंकी सीडी बनी है उस नंबर के ग्रंथके सामने इस कॉलममें वह ग्रंथ कौन से नंबरकी (कम्प्युटर स्केन द्वारा) सी.डी. में है यह जानकारी मिलती है । जहाँ एक ही ग्रंथ के सामने सी.डी. नंबर दो या अधिक है वहाँ वह ग्रंथ दोनों या अधिक सीडी में मिलाके पूरा होता है | याने एक ही ग्रंथका एक हिस्सा एक सीडीमें और दूसरा हिस्सा अलग सी.डी. में है ऐसा सूचीत होता है । परिशिष्ट क्र.६ सी.डी. वाइझ सूची में जहाँ ग्रंथ नंबर के साथे अधिक +' यह चिन्ह है वह यह सुचित करता है की उस ग्रंथ का शेषभाग दूसरी सी.डी में है। याने वह ग्रंथ दो या अधिक सी.डी.में मिलकर पूरा होता है । आठवी कॉलम 'ग्रंथान' की है । उसमें संबंधित ग्रंथमें कुल कीतने "लोक, काव्य, आर्या, ग्रंथान, गाथा आदि है यह सूचित कीया गया है । जहाँ सिर्फ नंबर ही सूचित किया है, वह ग्रंथान सूचित करता है । (१०) नववी कॉलम 'विशेष नोंघ' नामकी है । इस कॉलममें संबंधित ग्रंथकी विशेष जानकारीयों पत्रोंकी कम ज्यादा संख्या, चित्र, ग्रंथकी स्थिति, स्थान, सोनेरी, रूपेरी आदि बातोंका विवरण दिया गया है । कई भंडारोंमें यतियों के समयके कई गुटके है । वे अलग अलग बस्तोंमें अस्तव्यस्त बांधके रखे हुए है । उन्हें हमें ध्यानसे देखनेका मौका और समय न मिलनेसे उसका विवरण हमने सूचीपत्र में नहीं दीया है । गुटकोंके सामने सूचीपत्रमें यह ग्रंथ भंडारमें नहीं है ऐसा निशान . दिया हुआ है और विशेष नोंच की कोलम में उसका स्पष्टीकरण किया है इसलिये जहाँ एसा स्पष्टीकरण विशेषनोंघ की कोलममें है वहा वास्तवमें उनमें से कई गुटके भंडार में संकेत सूची संकेत ..सूची ............................. यह निशालवाले नंबरोंके ग्रंथ ग्रंथभंडारमें वर्तमान में विद्यमान सिर्फ फोटोस्टेट किये गये ग्रंथ .सी. डी, और फोटोस्टेट दोनों किये गये ग्रंथ ...सिर्फ सी.डी. में लिये गये ग्रंथ अ........................ ..अन्ययोग व्यवच्छेद, अवचूरि कर्ता, अपूर्ण अप.. अपभ्रंश भाषा आर्या ................ आचार्यगच्छ का हस्तलिखित कागजका ग्रंथ भंडार आचार्यगच्छ का ताडपत्रीय ग्रंथ भंडार उपाध्याय क... कर्ता कारिका/काव्य गणि ..गाथा गुप्तसंवत् गु/गुज.... गुजराती/गुर्जर भाषा ग्रंथान चूर्णि कर्ता ग...... गा..... Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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