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________________ ३१६ - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ भंडार ग्रंथांक क भंडार ग्रंथनुं नाम संवत ग्रंथांक नाम संख्या ........... का. ६८४ जि.का १२ २२२ जि.का. भारवि ...१७८६ .....१८७९ TEEEEEEEEEEEEEE - FERREEEEEEE ग्रंथन नाम कर्ता संवत् कुमारसंभव महाकाव्य (आठसर्ग) कविकालिदास ....... कुमारसंभवमहाकाव्य अवचूरि.............. ३.अ. कुमारसंभवमहाकाव्य ............ कालिदास....................१५७५ सप्तमसर्गपर्यंत कुमारसंभवमहाकाव्य ............. महाकवि कालीदास .......... १७२३ सप्तमसर्गपर्यंत कुमारसंभवमहाकाव्य ............ कालिदास ............. सप्तमसर्गपर्यंत कुमारसंभवमहाकाव्य ............ कालिदास .......... सप्तमसर्गपर्यंत सावचूरि कुमारसंभवमहाकाव्यअवचूरि सप्तमसर्गपर्यन्त कुमारसंभवमहाकाव्यटीका अपूर्ण मल्लिनाथ ..... कुमारसंभवकाव्य .............. कालिदास... कुमारसंभव महाकाव्य........... कालीदास कवि.... कुमारसंभव सह टीका .......... कालिदास.. कुमारसंभव सह टीका ............ कुमारसंभवकाव्यटीका ........... कुमारसंभववृत्ति .................शिवराज....... कुलक ........... ० कुवलयमालाकथा ................ दाक्षिण्यांक उद्योतनसूरि ....1000 कागज के दो पट्ट कालिकाचार्य कथा. ...१८८९ किमिया विधान त्रूटक ............ किरणावली ............ ...१४०० किरणावलीसूत्र (न्याय) बेटक.. किरात टीका अपूर्ण ........ किरातमहाकाव्य ................. किरातार्जुनीय ० किरातार्जुनीय काव्य ... | किरातार्जुनीय काव्य ............ हर्षविमल ले.. भारवि-क. | किरातार्जुनीय काव्य ............ भारवि........ ...१६७२ किरातार्जुनीयमहाकाव्य ..... • किरातार्जुनीयमहाकाव्य ......... भारवि महाकवी.............१४०० पंचदशसर्गपर्यत | किरातार्जुनीय वृत्ति ... १८७२ किरातटीका ....१८७७ 0 कुंडेश्वरागम अपूर्ण .............. कुंयरिश्राविकाबारबतनियम .... कुबेरदत्ताचौपई ................. हर्षविजय कुबेरवत्ताचौपई ..................समयसुंदर .............. कुमतिउत्थापनचर्या ........ कुमतिखंजनस्तबन ....... कुमतिउत्थापन............. कुमती उत्थापन ............... कुमतीखंडनस्तयन ............. कुमारपालचरित्र ........... ० कुमारविहारशतक ............ रामचंद्रगणि.. रामचंद्रगणि. भारवि........ जि.का ४२६ ...११०| लोंका ४०२ बूं.का.८० ४८१ त.का. ५६७ त.का. ११३९ बूं.का. ६४ त.का. ८८५ था.का ४३६ जि.का ९०४ त.का. ९७९ ढूं.का. ६१५ जि.ता. २६६ .का. १०६ डूं.का. १४३ ९८९ १७४७ इं.का. ४९८ था.का २२९ डूं.का.19०७० जि.का २१५३ ३२२ त.का. ३२३ कुशलानुबंधि कुलधजकेचलीचौपई (रसलहरी)/उदयसमुद्र उपाध्याय ...... Dकूटमुदगर .... माधव.............. कूर्मापुत्रकथा ............... जिनमाणिक्यसूरि ............ कूर्मापुत्रकथा .................... जिनमाणिक्यसूरि ............१६६४ त.का . जि.का १९५५ १९५५ जि.का १९५७ Jain Education International For Private &Personal use Only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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