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________________ । ୩୫ | ग्रंथांक झेरोक्षसी .डी ग्रंथान विशेष नोंध ...... मृगावतीरास अपूर्ण ... .......११ श्रेष्ठ.. ..१९६९+ १९९१ .,.२८८ जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार • जैसलमेर दुर्ग ग्रंथर्नु नाम | स्थिति कर्ता संवत् । पत्र संख्या ....... श्रीपालरास अपूर्ण ........... मध्यम ...जिनहर्ष ... र.१७४० अंजनासुंदरीपवनंजयकुमाररास ........ -मध्यम ... पुण्यसागर ........ .....र.१६८९ -जीर्ण १९८६ ....... सुरसुंदरीरास ................. ..श्रेष्ठ..... नयनसुंदरजी र.१६४४ १९८७ ...... शत्रुजयउद्धाररास ....................... मध्यम ...नयसुंदर .ले.१७७१.र.१६४८ |१९८८ ......शश्रृंजयआदिराससंग्रह .................. मध्यम +......... रे.१८७० .३-२४ १९८८/१.... शत्रुजयरास ............ ............ समयसुंदरजी .........३-६ १९८८/२..... अवंतिसुकुमालचोढालीया ......................... जिनहर्ष ..... .६-११ १९८८/३..... आषाढाभूतिधमाल .............. कनकसोम .............. .......... र.१६३८ ...... ११-१४ १९८८/४.... | मेघकुमारराजर्षिसज्झाय ............... श्रीसार .............." .... १५-२४ १९८९ ..... अभयकुमाररास अपूर्ण ..................श्रेष्ठ.....पद्मराज................ ......... र.१६५० १९९० ..... परदेशीराजारास अपूर्ण ............... १९९१ ...... जिनप्रतिमास्थापनरास.... मध्यम ... पार्श्वचंद्रसूरि ............ १९९२ ..... विद्याविलासचोपाई श्रेष्ठ..... आज्ञासुंदर .........र. १५१६ १९९३ ..... हंसराजवच्छराजचोपाई अपूर्ण-Jटक ...जीर्ण ... १६४७ रत्नचूडमुनिचोपाई ............... जीर्ण .... कनकनिधान ले.१८११.र.१७२४ माधवानलकामकंदलाचोपाई अपूर्ण .....श्रेष्ठ .... चंद्रलेखाचोपाई. मध्यम ...मतिकुशल .........र. १७२८. मृगावतीचोपाई मध्यम ... चंद्रकीर्ति. .......... र.१६८२ जयसेनकुमारचोपाई तथा रात्रिभोजनचोपाई .................. जीर्ण .... धर्मसमुद्रयाचक १९९९ शालिभद्रचोपाई.... जीर्ण .... मतिसार ले.१७२३.रे.१६७८ उपदेशरसाल........................ मध्यम ...... +........... १८१३ २००१ अइमत्तामुनिचोढालियु.............. जीर्ण.....नयरंग २००२ ...... दानशीलतपभावनाचोपाई ... मध्यम ...समयसुंदर ........ गू............र.१६६४ (२००३ ....... ज्ञानपचीसी ... जीर्ण ....बनारसीदास .......... हिन्दा ...........१७३२ २००४ .......स्त्रीसंयोगबत्रीसी. मध्यम... गू.............१८१३ २००५ ...... शाश्वतजिनस्तोत्र .. श्रेष्ठ ..... देवेंद्रसूरि ................ KARE ...१९९६ ...२८८ MFN0287 २००० THAN NE Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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