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________________ जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान विशेष नोंध संवत । पत्र संख्या | ...... १६३५+३६ ...... १६३५+३६ .२८४ .......३३ .२८४.......२८ ........ ...का.२८ ...का.९६ ......... पाणीथी भींजायेली छे. L.२८४ १३० ग्रंथांक ___प्रधनुं नाम स्थिति कर्ता भाषा १६३४ .....कलिकुंडपार्श्वनाथस्तोत्र धरणोरगेन्द्रस्तोत्र मध्यम ... १६३५ ...... विज्ञप्तिद्वात्रिंशिका ............ .......मध्यम ... १६३६ ...... परमानंदस्तोत्र तथा मूर्खशतक ..........जीर्ण .... १६३७ .....-ऋषिमंडलस्तोत्र ............... जीर्ण .... १६३८......चतुर्विशतिजिनस्तय तथा सद्भक्त्या ............देवलोके स्तोत्र...... मध्यम ... देवविजयगणि च........ १६३९ ....... बप्पभट्टिस्तुतिचतुर्विशतिका सटीक पंचपाठ.. श्रेष्ठ ..... बप्पभट्टिसूरि -मू......... १६४०..... शोभनस्तुति .... मध्यम ... शोभनमुनि ................ १६४१ ..... स्तोत्रसंग्रह .... श्रेष्ठ... १६४२ ..... जिनस्तोत्ररत्नकोश ......... मध्यम ... मुनिसुंदरसूरि ........... १६४३ ..... नवकारमहात्म्य अपूर्ण. श्रेष्ठ ..... जिनकुशलसूरिकवित्वाष्टक .... मध्यम ... मुनिमेरुपाध्याय ........ भवानीसहस्रनामस्तोत्र .. त्रिपुरास्तोत्र लघुस्तय ....... १६४७ ...... त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमहाकाव्य ............. दशमपर्व-महावीचरित्र. मध्यम .. हेमचंद्राचार्य १६४८ ...... एकविंशतिस्थानकप्रकरण सस्तबक .... जीर्ण .... सिद्धसेनरि.... प्रा.ग १६४९.....'शांतिनाथचरित्र गद्य त्रूटक........... मध्यम .. भावचंद्रसूरि ..... -त्रिषष्टिलक्षणमहापुराण त्रूटक अपूर्ण .. मध्यम ........... १६५१ ......जंबूस्वामिचरित्र..................... मध्यम... पद्मसुंदर ........... १६५२ ......जंबूस्वामिचरित्रगध .................. जीर्ण.../सकल हर्ष ............ १६५३ .......अंबडचरित्र गद्य पत्र .................. मध्यम.. अमरसुंदर ........ १६५४.....धर्मदत्तकथानक गद्य .............. १६५५ .....'ज्ञानपंचमीकथा ............... जीर्ण ... कनककुशल... १६५६ ...... पौषदशमीकथा गद्य ........... मध्य म .. ... १६५७ ...... होलिकाकथा पद्य ..... जीर्ण ... |१६५८ ..... चातुर्मासिकव्याख्यान ..... श्रेष्ठ .... समयसुंदर श्रेष्ठ.... मध्यम.. १६४७ ...२८५ ............१६५७-.......... २०८ ..... १७०१ ............ १६५६, ११-४६ अने १९६मुं ..........६४-१०१ ....१८ ६५१ ६५२ : १६५३ श्रेष्ठ:.......... ............ १७२०........... ............ १८५७..... ............ १६६८ र.१६५५-ले.१८५९.... : m प्रति पाणीथी भीजायेली छे. - प्रति पाणीथी भीजायेली छे. फक .र.१६६५ Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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