SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 177
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२९ संवत पत्र संख्या | झेरोक्ष सी.डी ग्रंथाना विशेष नोंध प्रा.ग. १६२२.. ૧૪ १५९१ १६०० ..४/..१६२१ + १६२२...२८४ |..१६२१ + १६२२ ...२८४ .१६२३ २६२४. १६२५.. .........१-२ ....२-४ २० १६२५ १६२५ १६२५ गा.५ १६२५ गा.१३ .१६२५. -१६२५...२८५ ...........१६२५.६.२८५ १६-१९ ............१६२५...२८५ १९-२० ...........१६२५...२८५ ... गा.१७ गा.२४ जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथ नाम स्थिति कर्ता भाषा दुरियरयसमीरस्तोत्र बालावबोधसह अपूर्ण मध्यम ........ १६२१.... दुरियरयसमीरस्तोत्र सावचूरिक पंचपाठ मध्यम .. जिनवल्लभसूरि मू.....प्रा.स अजितशांतिस्तवावचूरि ................ १६२३.. अजितशांतिस्तव सावचूरिक पंचपाठ ... श्रेष्ठ .....|नंदिषेण -मू. अजितशांतिस्तोत्रसस्तबक....... मध्यम... नंदिघेण सप्तस्मरण ............ मध्यम १६२५/१.... नवकार ...... १६२५/२.... उवसग्ग हरं ........ ...भद्रबाहस्वामी १६२५/३ ..... संतिकरं ............. .... मुनिसुंदरसूरि ...... १६२५/४ .... नमिऊण.............. १६२५/५...... अजितशांति .................... नंदिषेण ............... १६२५/६ ..... भक्तामर ............... मानतुंगसूरि ............. १६२५/७.... बृहत्शांति .............. मध्यम... बादिवेताल शांतिसूरि... १६२५/८.... लघुशांति ............... मध्यम... मानदेवसूरि १६२६ ..... सप्तस्मरण ...... मध्यम १६२६/१.... अजितशांति ...... मध्यम ... नंदिषेण ............... १६२६/२..... लघुअजितशांति .. मध्यम ...जिनयलल्भ ......... १६२६/३.....नमिळण............. ............. १६२६/४ .....लं जयउ स्मरण ..... मध्यम ... जिनदत्तसूरि १६२६/५..... मयरहियस्तोत्र मध्यम ... जिनदत्तसूरि १६२६/६ .... सिग्धमवहरउविग्धं स्तोत्र. मध्यम ... जिनदत्तसूरि १६२७ ..... भक्तामर स्तोत्र......... श्रेष्ठ .....मानतुंगसूरि. १६२८ ...... भक्तामरस्तोत्र बालावबोध............... जीर्ण ........... १६२९ ....... कल्याणमंदिरस्तोत्र.................... --जीर्ण .... सिद्धसेन दिवाकर ......| कल्याणमंदिरस्तोत्र.............. मध्यम ... सिद्धसेन दिवाकर ....... सं. ....... कल्याणमंदिरस्तोत्र सस्तबक अपूर्ण .... मध्यम ... सिद्धसेन दिवाकर ........ सं. १६३२ ...... लघुशांतिस्तव ..... श्रेष्ठ .....मानदेवसूरि .............. सं. १६३३ ......जयतिहुयणस्तोत्र सस्तबक.... .........मध्यम ...अभयदेवसूरि ..............अप. गा.४४ गा.४० गा.१७ मध्यम . तात्र............. . . १६३०...... १६३१ मू.गा.३० Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy