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________________ प्रा.ग. जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग स्थिति। भाषा संवत । पत्र संख्या - झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान विशेष नोध श्रेष्ठ .............. ................ .......१८९ मध्य म..... ......९३-११९ श्रेष्ठ... ....... १६५३ ....१३६० .२७७....४७५० श्रेष्ठ... ....... १६५९ ......१३६१.२७६ ....३७०० श्रेष्ठ ..... अभयदेवसूरि -टी..... सं... र. ११२०-१६७६ ... १३६२ (१.२). २७७ .. १४५०० श्रेष्ठ... अभयदेवसूरि -टी. ..... ........ र. ११२० ........१३६३ +-२७७ .. १४३५० मध्यम .. अभयदेवसूरि .......... सं.-........ र. ११२०/ ३०३ ...१३६४ (१.२)+.२७८ .. १८६१६ श्रेष्ठ.... अभयदेवसूरि -वृ.......... सं.र.११२८ ले.१५७५.......... .....१३६५(१,२)-.२७८ .. १८६१६ १३६१.. ..१०४ १३६७ .. .......... ११८ ग्रंथांक ग्रंथy नाम १३५८ ..... -सूत्रकृतांग सस्तबक .............. १३५९ ..... स्थानांगसूत्र........... १३६०.. स्थानांगसूत्र....... स्थानांगसूत्र....... १३६२ .... स्थानांगसूत्रवृत्ति .... १३६३ .. स्थानांगसूत्रवृत्ति ... १३६४ ... भगवतीसूत्रवृत्ति ... १३६५ .... भगवतीसूत्रवृत्ति . १३६६ .... भगवतीसूत्र सस्तबक त्रयोदशशतकतृतीयोदेशपर्यंत.. स्थानांगसूत्रवृत्ति सह १३६८ समवायांगसूत्र १३६९ भगवतीसूत्र भगवतीसूत्रवृत्ति अपूर्ण भगवतीसूत्रवृत्ति अपूर्ण जाताधर्मकथांगसूत्र.. ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र ..... ज्ञाताकर्मकथांगसूत्र .... ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र झाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति ज्ञाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति ज्ञाताधर्मकथांगसूत्रवृत्ति उपासकदशांगसूत्र अंतकृशांगसूत्र.. अनुत्तरौपपातिकसूत्रवृत्ति प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्र १३८४ ....... विपाकसूत्र सस्तबक .... श्रेष्ठ .... श्रेष्ठ. ३९५ श्रेष्ठ.... अभयदेवसूरि ........र. ११२० ...१३६७ (१.२)!.२७९ .. १८००० श्रेष्ठ श्रेष्ठ ....... १६७६ ....१३६९ (१.२). २७९.. १५७५० श्रेष्ठ.... अभयदेवसूरि -टी. .... श्रेष्ठ.... अभयदेवसूरि ....... ..........२७९ प्रा............. १६५६ ............... १३२ ............................ ५३७५ मध्यम ........................... .प्रा. ............ २२० ..................... ५३७५ ............................. .प्रा.-............ १६६३ ............... F000 प्रा.सं.................... ५६५० श्रेष्ठ.... अभयदेवसूरि -वृ.......... सं.--........र. ११२० .४२०० अभयदेवसूरि -ह........... सं.र.११२० ले.१६१६ ...४२०० श्रेष्ठ ... अभयदेवारि -यू. ......... सं.-..........र.११२० ...३८०० श्रेष्ठ. १३७९ ...२८८ .....८१२ श्रेष्ठ.. श्रेष्ठ.... अभयदेवसूरि -वृ........ ... १६५३ .....१०० मध्यम. ............. १५९१ ..१३८२ + १३८५...२८०....१२५०,१,२८ नथी श्रेष्ठ... ..१२५० ..................५००० बैं १३८१ 1.२८० 4.२८० श्रेष्ठ ....... Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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