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________________ संवत् । ૧૦૨ | ग्रंथांक । ग्रंथy नाम |१०७३ ...... नमिराजर्षिकुलक ................ |१०७४ ....... अनाथीमुनिसज्झाय . |१०७५/१....दानषट्विंशिका वृत्तिसह . ............. मध्यम... गुज. जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग पत्र संख्या । झेरोक्ष सी.डी. ग्रंधान विशेष नोंध .....गा.६३, |१०७४ थी १०७८ ........... गा.९ ......... |१०७४ थी १०७८...२७३ र.१५५२ जीर्ण स्थिति भाषा विनयसमुद्र वाचक ...... जीर्ण ... समयसुंदर गुज. श्रेष्ठ.... राजशेखर -मू....... दैवललामसाधु-वृ. -प्रा.स जीर्ण .. श्रेष्ठ .... साधुरत्नसूरि -अय. ..... जीर्ण .... त्रिविक्रमभट्ट -मू...... जीर्णप्राय चंडपाल -वि. .......... जीर्णप्राय हलायुध ................" श्रेष्ठ .... | १०७५/२.....जीवविचारप्रकरण सटीक किंचिदपूर्ण |१०७६ ......लक्ष्मीआदिमंत्रसंग्रह १०७७ ...... नवतत्वप्रकरण सावचूरि. १०७८ ....... दमयंतीकथापू सावचूरि पंचपाठ.... १०७९/१.....दमयंतीकथाचंपूविवरण .... १०७९/२.... कविगुह्यनामकाव्य ........ १०८०......संस्कृतिशब्दरूपावली .. SEAN 1१०७४ थी १०७८ ... २७३ १०७४ थी १०७८ ... १७१९... १०७४ थी १०७८ ३२/१०७४ थी १०७८ ...२७३ .......... १४८४ ..१०७२ + १०८०...२७३/....१९०० ३९-४६ ।..१०७२ + १०८०.२७३) ......३५० ..........१५५५ ................ १२ ..१०७९ + १०८० २७३/ ...२८८ ...........१०८१ ..........५४ .१०८२ + १०८३ श्रेष्ठ..... ............ ....८...१०८२ + १०८३ ...२७३ ६-१४ ...का.२६ १४९ प्रति अस्तव्यस्त तथा पत्रांको भुंसाई गयेल छे १०८५ ......ऋषिमंडलप्रकरण ...... श्रेष्ठ..... धर्मघोषसूरि ............... १०८२ ....... योगचिंतामणि वैद्यक ..... हर्षकीर्तिसूरि ......... | नागपुरीय तपागच्छीय १०८३ ....... बालशिक्षाव्याकरण. जीर्णप्राय भक्तिलाभ .. १०८४/१.... दशवैकालिकसूत्र शय्यंभवसूरि प्रा. १०८४/२....चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र क्रियागुप्त ...... |श्रेष्ठ.....जयशेखरसूरि १०८५ ....... नयतत्त्वविवरण तथा जीर्णप्राया चैत्यवंदनावंदनकादिविचारबालायबोध १०८६ ....... अनुत्तरोपपातिकदशांगसूत्र ........... जीर्ण १०८७ ....... वैद्यकग्रंथ अपूर्ण................. श्रेष्ठ... १०८८ .......भववैराग्यशतक अपूर्ण ............... मध्यम १०८९ ......चैत्यवंदनाभाष्य सस्तबक ............ मध्यम १०५०......रामसीतासंबंध ..................... मध्यम १०९१.......चैत्यवंदनभाष्य ................... मध्यम ... देवेंद्रसूरि १०९२ ....... उपदेशमालाप्रकरण सस्तबक ..........जीर्ण |१०९३ .......दशवैकालिकसूत्र श्रेष्ठ ........... ............... .१०८६ ............. २०० २११ . ....... गा.६३ प्रा.ग .. ग्रं.७५० मू.गा.५४२. Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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