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________________ जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान .विशेष नोंध ८.१२. १९. २० नथी १०० ग्रंथांक ग्रंथनं नाम | स्थिति कर्ता भाषासंवत पत्र संख्या । १०२७ ....... समाधिशतक बालावबोधसह अपूर्ण....भेष्ठ....सोमसेनसूरि मू........पा.स.गु, १०२८ ....... भक्तामरस्तोत्र सस्तबक................ मध्यम ..............................सं.गु. ..................... ५ १०२९ .......जीवविचारप्रकरण...................... साधारण शांतिसूरि ................प्रा............. १८३८].................११ १०३०......नंदीसूत्र ................................श्रेष्ठ.....देववाचक .................मा.. आवश्यकसूत्र सस्तबक ................. मध्यम .............................. सिंहासनद्वात्रिंशिका ................ श्रेष्ठ..................... .................. ५२-६२ 'ढोलामारुवार्ता अपूर्ण .................. ........... २२ १०३४ ...... एकविंशतिस्थानप्रकरणबालावबोध ......श्रेष्ठ................................ १०३५ ...... कल्पसूत्रसंक्षिप्तवालावबोध ............ श्रेष्ठ ......... १४ १०३६ .....! नेमिनाथबारमासा तथा सवैया ........ श्रेष्ठ ....तिलक गुसाई ............हि... १०३७/१.... कर्मछत्रीसी. १०३७/२..... अध्यात्मपयडीछत्रीसी ............................. बनारसीदास ............ १०३७/३..... कवितसंग्रह ......... मध्यम .. ज्ञानरल .............. १०३८ ....... दिक्पटचोरासीबोलविसंवाद श्रेष्ठ .... जिनसमुद्र............. १०३९ .... मृगांकलेखारास श्रेष्ठ ... १०४०.... उत्तमकुमारचरित्र पद्य .. श्रेष्ठ .. १०४१ ......कालज्ञान श्रेष्ठ..... १०४२ ......कातंत्रव्याकरण पंचसंधि मध्यम.. १०४३ ....... बृहत्संग्रहणीप्रकरण सटीक .......... जीर्ण... जिनभद्रगणि मू........ गुज......... गुज.. २४ बारमासानी आदिनी १० गाथा नीं ...गा.३५. प्रति पाणीमां भीजाएली के . प्रति पाणीमा (जाएली छे , गा.४०८. पत्र ५-१२ नथी ..अं.५७५. .१०४२.२७३ प्रति त्रूटक अपूर्ण, चॉटेली अने अस्तव्यस्त छे प्रति पाणीमां भीजाईने खराब थएली छे १०४४ ....... उत्तराध्ययनसूत्र......... 4. 4. .......१०४६ . १०४५......भावाध्याय अपूर्ण.................... १०४६ ......-गोरक्षकप्रबोध अपूर्ण .............. मध्य म... १०४७ ....... कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति टिप्पणीसह .. मध्यम ... दुर्गसिंह -यू...... १०४८ ....... कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति टिप्पणीसह ... मध्यम ... दुर्गसिंह -वृ... १०४९ ....... त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र परिशिष्टपर्व जीर्णप्राय हेमचन्द्रसूरि ... पत्र ४, ५ नथी १६१..१०४७ + १०४८.२७३/............पत्र २,३,७६४ नथी १२३..१०४७+ १०४८.२७३ 4 4 ........१०४९ Jain Education international For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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