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________________ सी.डी. ग्रंथान। विशेष नोंघ झेरोक्ष ..८६६ +८६८ ..८६६ +८६८ ८६६/३ गा.VE ...८६६ +८६८ ........८६९ ...२७२ ........गा.७१, .........३५ ७२...... ८७३/२ ..... जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम | स्थिति कर्ता भाषा संवत् । पत्र संख्या ८६६/२ ..... वर्धमानाष्टक ......................... गुरुपरिबाडी............. श्रेष्ठ. नवतत्त्वप्रकरण सस्तबक द्वारिकामाहात्म्य अपूर्ण मध्यम भोजचरित्र पद्य मध्यम ... राजवल्लभोपाध्याय ..... १६३४ ............. ८७०/१ आगमोद्धारगाथा ..... ११२-११४ ८७०१२ .. .... घटस्थानकप्रकरण अपूर्ण ................जीर्ण ... ... ११४-१२० ८७१......... पुष्पमालाप्रकरण ................ मध्यम ... मलधारी हेमचन्द्रसूरि ... १५९६ कल्याणमंदिरस्तोत्र बृत्तिसह ............ श्रेष्ठ... सिद्धसेनाचार्य -मू.... .............१२ ८७३/१.....चतुःशरणप्रकीर्णक.... वीरभद्रगणि............ नवतत्त्वप्रकरण ........... ८७३/३ ..... जीवविचारप्रकरण ................. शांतिसूरि ...... ९-१३ ८७३/४ ..... शीलोपदेशमालाप्रकरण ...... जयकीतिसूरि ........... १३-२१ ८७३/५ .... स्थविरावली ...................... देववाचक........... २१-२४ ८७४....... भक्तामरस्तोत्र वृत्तिसह त्रिपाठ..........मध्यम ...मानतुंगसूरि मू......... .............१३ अमरप्रभसूरि-यू. कल्पसूत्र सस्तबक .अ......... प्रा.गु. दशकालिकसूत्र अपूर्ण ............ मध्यम ... शय्यंभवसूरि ............ जीवविचारप्रकरण ................... -मध्यम... शांतिसूरि ............ अनुत्तरोपपातिकदशांगसूत्र .............. श्रेष्ठ ..... अभयदेवसूरि यू........ प्रा.सं. वृत्तिसह पंचपाठ कल्प सूत्रवृत्ति ............................मध्यम .............. ६७-७८ अमरदत्तमित्राणंदकथा बालावबोध अपूर्ण श्रेष्ठ...... गुज.. १३-१८ चतुःशरणप्रकीर्णक बालावबोधसह ......श्रेष्ठ....-बीरभद्रगणि -मू. ....... प्रा.गु.कल्याणमंदिरभाषास्तोत्र ................मध्यम ... बनारसीदास ...... हिंदी........... १७७९ सिद्धान्तआलापक .................... श्रेष्ठ...... .प्रा.... मनोवेगवायुवेगचोपाई .............. -श्रेष्ठ....-दर्शनविजय........ -- गुज. र.१७०१-ले.१७५६, ............ ४-५६ ..८७१... २७२ गा.५०६ ७२...८७८ -... गा.६३, 4..गा.४७ गा.५१ गा.११५, ..........गा.५० ८७२... ८७८ .......... -मा. गा.५१ ८७२...८७८ .... . ............... ...गा.६३ .८८४ ..... ...१२५२ गा.९०८ Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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