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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कृ.विः गांभूमां रची छे. जंबूश्रावक बहुश्रुतनी सहायथी रची छे पातासंघवी १६०-२- पे क्र. २, पृ. ७८-१४४ यतिप्रतिक्रमणवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १८९-१- पे. क्र. ६, पृ. १०९ - १६१, चैत्यवन्दना - वन्दनक- प्रत्याख्यान लघुवृत्ति आदि, वि-१२९८, संपूर्ण पे. विशेष- १०८ पत्र नथी. डीवीडी-३७/५४ पाकाहेम ७०६, पृ. ५, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति, वि-१४७०, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-६ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (सं.) अर्थदीपिकावृत्ति (अर्थदीपिका वृत्ति) आचार्य- रत्नशेखरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १४९६, ग्रं.६६४४, पाकाहेम १०५५७, पृ. २०८ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र अर्थदीपिकावृत्तिसह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष - प्रति एक खुणेथी उंदरे करडेली छे. पत्र १४५मुं डबल छे. पाकाहेम १४९०५, पृ. १२३, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रसटीक अर्थदीपिकावृत्ति, वि - १५४९, संपूर्ण प्रत विशेष - पत्र ९४ मुं नथी. कुल झे. पृष्ठ- १२३ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-(सं.) लघुवृत्ति आचार्य तिलकसूरि, सं., गद्य, ग्रं. २००, आदि वाक्यः प्रणिधाय श्रीवीरं स्वल्परूचिनां कृते समासेन..... पातासंघवी १२१-२- पे.क्र. २, पृ. ५१-७०, चैत्यवन्दनप्रत्याख्यानलघुवृत्ति आदि, संपूर्ण डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी २०६-२- पे. क्र. ६२. पृ. १८७-१९३ योगशास्त्र चार प्रकाश आदि संपूर्ण पे. नाम श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (सं.) लघुवृत्ति डीवीडी-३८/५५ पाताहे १०५ पे.क्र. ४. पृ. १२६अ १४५ स्थविरावलिवृत्तिसह आदि, अपूर्ण ये नाम वन्दित्तुसूत्र की तिलकसूरीय टीका, पे. विशेष पूर्ण गाथा- ४७वी की टीका अपूर्ण तक है. झेरोक्ष पत्र - ३१-४०. प्रत विशेष- पत्र - ३२-६५ नहीं है. कुल झे. पृष्ठ ४२ डीवीडी-७/१६ पाकाहेम ७४७३, पृ. ३, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र लघुवृत्ति - वन्दित्ता सूत्रवृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (सं.) वृत्ति सं. गद्य, भांता ५७, पृ. ३२ वन्दित्तुसुत्र सह टीका, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-१००० ग्रन्थ नथी. कुल झे. पृष्ठ-८, डीवीडी-७२/८१ - श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र- (प्रा.) चूर्णि ( वन्दित्ताचूर्णि ) आचार्य विजयसिंहरि गुरु- मुनि शान्तिमुनि, प्रा. पद्य रचना सं. विक्रम ११८३ श्लोक ४५९०, आदि वाक्य: (१) " सिद्धं सिद्धत्वसुर्य सुयधम्मपयासयं...(२) वन्दित्वेति वदि अभिवादन... पाकाहेम ४३६, पृ. १३१ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णित्रुटक, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- ८८ पाकाहेम ४३७, पृ. ४१ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र चूर्णि सहित वि-१५९४ संपूर्ण कुझे. पृष्ठ- २८ पाकाहेम १४८९४, पृ. ९५ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रचूर्णीसह, वि-१४९८, संपूर्ण प्रत विशेष पत्र ३२ में नथी. - " झे. पृष्ठ-९६ भांका २७८, पृ. ४४, वन्दित्ताचूर्णि (श्रमणोपासक प्रतिक्रमणसूत्र सह चूर्णि ), संपूर्ण 734
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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