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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीकानी (सं.)न्यायकन्दली टीकानी (सं.)न्यायकुसुमोद्गमोदयव्याख्या (न्यायकुसुमोद्गमोदय व्याख्या) वोम्मीदेव, सं., गद्य, आदि वाक्यः नित्यज्ञानदयैश्वर्यं (र्य) सिन्धवे बन्धवे नमः... पाकाहेम ६६८२, पृ. ६७, न्यायकन्दली न्यायकुसुमोद्गमोदयव्याख्या, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६८ वैशेषिकभाष्य जुओ - वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका, आचार्य-प्रशस्तपादाचार्य, संस्कृत, श्लोक७७७ वोच्छेज्जगण्डी जुओ - वोच्छेयगण्डिया, प्राकृत, गा.१७३ वोच्छेयगण्डिया (वोच्छेज्जगण्डी) प्रा., पद्य, गा.१७३, आदि वाक्यः अह पुण सरत्थुवन्तो देसे देसे समोसरन्तो.. पाताखेत ५०- पे.क्र. ११, पृ. १४६-१५८, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि १५ ग्रन्थो, वि-१२१३, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१७२. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ७०-१, ७०-२, ७०-३ आ रीते बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-९६, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी ५४-२- पे.क्र.४, पृ. १९-४६, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८४, संपूर्ण डीवीडी-२९/४७ तालाद ३३९- पे.क्र. १४, पृ. ७५-९१, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ डतामुक्ता ४५७- पे.क्र.८, पृ. २-११, जिनवल्लभ कृतयः, वि-१२वी, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथानुसन्धान यत्र-तत्र असम्बद्ध है. कुल झे.पृष्ठ-९, डीवीडी-१०१/१०२ व्यक्तिविवेक काव्यालङ्कार (काव्यालङ्कार व्यक्तिविवेक) जैनेतर-राजानक महिम, सं., आदि वाक्यः अनुमानान्तर्भावं सर्वस्यैव ध्वनेः प्रकाशयितुम् । व्यक्तिविवेकं कुरुते प्रणम्य महिमा परं वाचम् ||..... पाकाहेम ६६४३, पृ. ३९, व्यक्तिविवेककाव्यालङ्कार, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४० व्यवहारचूलिका षोडश स्वप्न विचार (षोडश स्वप्न विचार) , गद्य, पाताहेसं १७१-६, पृ. २, व्यवहारचूलिका षोडश स्वप्न विचार, संपूर्ण डीवीडी-९/१८ व्यवहारभाष्य जुओ - व्यवहारसूत्र-(प्रा.)भाष्य, गणि-जिनदास गणि क्षमाश्रमण, प्राकृत व्यवहारवृत्तिगतप्रायश्चिताधिकार सं., गद्य, कृ.विः उद्देशक-१०. पाकाहेम ७९५०, पृ. ४, व्यवहारवृत्तिगतप्रायश्चित्तधिकार, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ व्यवहारसूत्र (ववहारसुत्त) आचार्य-भद्रबाहुस्वामी, प्रा., ग्रं.६८८, आदि वाक्यः जे भिक्खू मासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा। पातासंघवी ६०-२- पे.क्र. २, पृ. ६९-११०, निशीथसूत्र एवं व्यवहारसूत्र, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. डीवीडी-३०/४८ भांता १, पृ. ४८४, व्यवहारसूत्र सह भाष्यटीका-उद्देशक-१-३, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-४७२/ १-४६४., पत्र-६+४८५+३=४९४., ३५०-३५४,३६५A-३६५४,३६६-१,३६६ २,३६६-३ घटे छे. कुल झे.पृष्ठ-३६८, डीवीडी-६५/७४ 692
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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