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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-३५/५३ पाकाहेम ६६८४, पृ. १२, प्रशस्तपादभाष्य-वैशेषिकभाष्य, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१३ पाकाहेम १६७९४- पे.क्र. १, पृ. १-५, प्रशस्तपादभाष्य-द्रव्यपदार्थ,न्यायावतारादि सङ्ग्रह, संपूर्ण पे. नाम- प्रशस्तपादवैशेषिकभाष्ये-द्रव्यपदार्थ कुल झे.पृष्ठ-१० वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका की (सं.)न्यायकन्दलीटीका (पदार्थधर्मसङ्ग्रहनी (सं.)न्यायकन्दली टीका), (कन्दली टीका), (न्यायकन्दली टीका) जैनेतर-श्रीधर भट्ट, सं., गद्य, रचना सं. शक ९१३ , ग्रं.३७१६, आदि वाक्यः अनादिनिधनं देवं जगत्कारणमीश्वरम्... पातासंघवीजीर्ण ५९- पे.क्र.८, पृ.?, प्रवचनसन्दोह-पञ्चसूत्रादि तथान्यायकन्दली टीका, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र २९-६८ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-नकामी-जीर्ण. ____ कुल झे.पृष्ठ-६८, डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १४४-१- पे.क्र. १, पृ. १-१५५, न्यायकन्दली तथा पदार्थधर्मसङ्ग्रह (न्यायकन्दली सूत्र), वि-१२४२, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र ६००० डीवीडी-३५/५३ पाकाभाभा १२५४, पृ. २१, न्यायकन्दली, वि-१७वी, संपूर्ण वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीकानी (सं.)न्यायकन्दली टीकानी (सं.)न्यायकुसुमोद्गमोदयव्याख्या (न्यायकुसुमोद्गमोदय व्याख्या) वोम्मीदेव, सं., गद्य, आदि वाक्यः नित्यज्ञानदयैश्वर्यं (र्य) सिन्धवे बन्धवे नमः... पाकाहेम ६६८२, पृ. ६७, न्यायकन्दली न्यायकुसुमोद्गमोदयव्याख्या, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६८ वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीका की (सं.)न्यायकन्दलीटीका (पदार्थधर्मसङ्ग्रहनी (सं.)न्यायकन्दली टीका), (कन्दली टीका), (न्यायकन्दली टीका) जैनेतर-श्रीधर भट्ट, सं., गद्य, रचना सं. शक ९१३ , ग्रं.३७१६, आदि वाक्यः अनादिनिधनं देवं जगत्कारणमीश्वरम्... पातासंघवीजीर्ण ५९- पे.क्र.८, पृ. ?, प्रवचनसन्दोह-पञ्चसूत्रादि तथान्यायकन्दली टीका, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र २९-६८ पर है. प्रत विशेष- त्रुटक-नकामी-जीर्ण. कुल झे.पृष्ठ-६८, डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १४४-१- पे.क्र. १, पृ. १-१५५, न्यायकन्दली तथा पदार्थधर्मसङ्ग्रह (न्यायकन्दली सूत्र), वि-१२४२, संपूर्ण पे. विशेष- ग्रन्थाग्र ६००० डीवीडी-३५/५३ पाकाभाभा १२५४, पृ. २१, न्यायकन्दली, वि-१७वी, संपूर्ण वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रह टीकानी (सं.)न्यायकन्दली टीकानी (सं.)न्यायकुसुमोद्गमोदयव्याख्या (न्यायकुसुमोद्गमोदय व्याख्या) वोम्मीदेव, सं., गद्य, आदि वाक्यः नित्यज्ञानदयैश्वर्यं (र्य) सिन्धवे बन्धवे नमः... पाकाहेम ६६८२, पृ. ६७, न्यायकन्दली न्यायकुसुमोद्गमोदयव्याख्या, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६८ । वैशेषिकदर्शन-(सं.)पदार्थधर्मसङ्ग्रहटीकानी न्यायकन्दलीटीकार्नु (सं.)टिप्पनक आचार्य-नरचन्द्रसूरि मलधारी, सं., गद्य, ग्रं.२५००, आदि वाक्यः अव्याहतमनाद्यन्तमनन्तमहिमास्पदम्... 691
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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