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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, पद्य, गा.७५, पाकाहेम १०७९६, पृ. ५, अमरसत्तरी, वि-१७मी, संपूर्ण अमरसप्ततिका जुओ - अमरसत्तरी, पं.-पार्श्वचन्द्र, मारुगूर्जर, गा.७५ अमरसेन वयरसेनकथा दान, देवपूजाविषये (दान, देवपूजाविषये अमरसेन वयरसेनकथा) सं.. कृ.विः दान देवपूजा विषये पाकाहेम १७७६- पे.क्र. ९, पृ. ३२-३६, अघटकुमारादि बावीस कथा सङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १५ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-६० अमरसेनकथा गाथाबद्ध चातुर्मासिकनियमे (चातुर्मासिकनियमे अमरसेनकथा गाथाबद्ध ) प्रा., पद्य, गा.५७, पाकाहेम ४००१- पे.क्र. ११, पृ. ३१-३३, विविधकथासङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१८ अमावास्या पूर्णिमा विचार प्रा.,सं., पद्य, आदि वाक्यः जहा गेहं पइदिवसपि सोहियं... भांता ७०- पे.क्र.७१, पृ. ८९०-९१B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ अमृतसञ्जीवनी जुओ - छन्दोवृत्ति अमृतसञ्जीवनी, जैनेतर-हलायुध भट्ट, संस्कृत, श्लोक१२३४ अमृताशीति आचार्य-योगीन्द्रदेव (दिगम्बर), सं., पद्य, श्लोक७९, आदि वाक्यः विश्वप्रकाशिमहिमानममानमेक... वताकांति ४१९- पे.क्र. २, पृ. १-७, चन्द्रप्रभस्तुति व अमृताशीति, वि-११९२, संपूर्ण पे. विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका में "योगसाराख्यं" अथवा "योगस्मराख्य" इस तरह कृतिनाम लिखा गया है. वस्तुतः योगीन्द्रदेव रचित अमृताशीति नामक कृति है.सन्दर्भ देखें C-१२५९ पत्र-८५. प्रत विशेष- प्रतिलेखन पुष्पिका दी गयी है. कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-९७/९८ अमृताष्टमीकथा सं., पद्य, श्लोक९२, आदि वाक्यः श्रीवीरवदनकलशः... पातासंघवीजीर्ण ८०- पे.क्र. १, पृ. ?, दृढप्रहारीकथा आदि कथा सङ्ग्रह, अपूर्ण प्रत विशेष- वचमां घणा पानां नथी. डीवीडी-५८/६० अम्बाईस्तुति प्रा.,अप., पद्य, गा.२, आदि वाक्यः नेमि जिणन्दह तित्थ... तालाद ३३९- पे.क्र. ७, पृ. ६७, जीवविचारप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१. कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-९४/९६ अरजिन चरित्र गणि-शुभशील, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १५२२अध्याय११, आदि वाक्य: येनादौ पद्धतिधर्मकर्मणोरवदर्शिता... पुप्रे ४२२, पृ. ४१८, अरजिन चरित्र, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४१८ अरिष्टनेमिचरित्र 29
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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