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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-५४, डीवीडी-१०३/१०४ अभिधानचिन्तामणिनाममाला-(सं.)टिप्पण सं., गद्य, अताका ४८६- पे.क्र. १, पृ. १७A-८५B, अभिधानचिन्तामणि सह टिप्पण आदिनाममालाओ (भाग-१), अपूर्ण पे. नाम- अभिधानचिन्तामणिनाममाला सह टिप्पण, पे. विशेष- संपूर्ण. पत्रांक- १-१७ पर कोई अन्य कृति होनी चाहिये जो इस प्रत में नहीं है. प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी.(जैन प्राच्य विद्याभवन) पत्रांक घिसा हुआ है. झेरोक्ष पत्र-५४ लिखा हुआ है परन्तु कुल ५३ पत्र ही है. कुल झे.पृष्ठ-५४, डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम १०२१२, पृ. ५७, अभिधानचिन्तामणि टिप्पणीसह पञ्चपाठ, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५८ अभिधानचिन्तामणिनाममाला-(सं.)टीका आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, ग्रं.१००००, आदि वाक्यः धर्मतीर्थकृतां वाचं नत्वा तत्त्वाभिधायिनीम् ।... कृ.विः उभय ग्रन्थाग्र-१००००. टीका ग्रन्थाग्र-४६८५. पातासंघवीजीर्ण ३६, पृ. २९६, अभिधानचिन्तामणीनाममाला टीका, वि-१३३७, त्रुटक प्रत विशेष- प्रथमनां ४ पत्र बगडेलां ने पाछलां २६४ थी पाना खवाई गया छे-जीर्ण-त्रुटक छे., विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-५७/५९ पातासंघवी १२०, पृ. २४०, हैमीनाममालावृत्ति सह, वि-१२७५, अपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण छे सारी. डीवीडी-३४/५२ पाकाहेम १०२११, पृ. १९३, अभिधानचिन्तामणि स्वोपज्ञ टीकासह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २७मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-१९४ अभिधानचिन्तामणिनाममाला-(सं.)व्युत्पत्तिरत्नाकर टीका (व्युत्पत्तिरत्नाकर टीका) गणि-देवसागर[आञ्चलिक], सं., गद्य, पाकाहेम १३०५१, पृ. ४८१, अभिधानचिन्तामणिनाममाला व्युत्पत्तिरत्नाकर टीकासह, वि-१८०२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३२२ पाकाहेम १३९४०, पृ. ११५, व्युत्पत्तिरत्नाकर, वि-१८०९, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र-५७+५८=११५ कुल झे.पृष्ठ-७७ अमरकोष (नामलिङ्गानुशासन), (त्रिकाण्डकोश) पण्डित-अमरसिंह, सं., पद्य, श्लोक२०००, आदि वाक्यः यस्यज्ञानदयासिन्धोरगाधस्यानघा गुणा... पाकाहेम २५४०, पृ. ४४, अमरकोषतृतीयकाण्डगतनानार्थवर्गटीका सह त्रिपाठ, वि-२०मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ अमरकोष-(सं.)टीका गणि-सिद्धिचन्द्रगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २५४०, पृ. ४४, अमरकोषतृतीयकाण्डगतनानार्थवर्गटीका सह त्रिपाठ, वि-२०मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ अमरकोष-(सं.)टीका गणि-सिद्धिचन्द्रगणि, सं., गद्य, पाकाहेम २५४०, पृ. ४४, अमरकोषतृतीयकाण्डगतनानार्थवर्गटीका सह त्रिपाठ, वि-२०मी, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ अमरसत्तरी (अमरसप्ततिका) 28
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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