SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 457
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- ग्रं.२०७३. कुल झे.पृष्ठ-३५ न्यायावतारसूत्रनी (सं.)वृत्तिनुं (सं.)टिप्पण सं., गद्य, आदि वाक्यः नत्वा श्रीवीरमेकान्तध्वान्तविध्वंसभास्करं।... पातासंघवी १०५-१, पृ. ७२, न्यायावतारवृत्ति टिप्पण, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १२-४६-५१-५९ अने अंत नथी. न्यायावतारसूत्र-(सं.)वृत्तिनुं (सं.)टीप्पणक आचार्य-देवभद्रसूरि मलधारी[हर्षपुरगच्छीय], सं., गद्य, पाकाहेम २४४८ - पे.क्र. २, पृ. २८-४१, न्यायावतारवृत्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम २४४९, पृ. २२, न्यायावतारवृत्तिटिप्पनक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम ६६७१, पृ. १५, न्यायावतारवृत्तिटिप्पन, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ न्यायावतारसूत्र-(सं.)टीका मुनि-सिद्ध साधु, सं., गद्य, पातासंघवी १७१-२- पे.क्र. ४, पृ. १-६८, न्यायावतारसूत्र आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाडी नंबर १२२(१) अने २४१(३) आपेलो छे., त्रुटक, अपूर्ण, कोरो एक बाजुनी खरी गई प्रत विशेष- कोई पानानी कोरो खरी गई छे. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-३६/५४ पाकाहेम २४४८- पे.क्र. १, पृ. १-२८, न्यायावतारवृत्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम ६८०८, पृ. ३३, न्यायावतारविवरण, वि-१६वी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रं.२०७३. कुल झे.पृष्ठ-३५ न्यायावतारसूत्रनी (सं.)वृत्तिनुं (सं.)टिप्पण सं., गद्य, आदि वाक्यः नत्वा श्रीवीरमेकान्तध्वान्तविध्वंसभास्करं।... पातासंघवी १०५-१, पृ. ७२, न्यायावतारवृत्ति टिप्पण, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १२-४६-५१-५९ अने अंत नथी. न्यायावतारसूत्र-(सं.)वृत्तिनुं (सं.)टीप्पणक आचार्य-देवभद्रसूरि मलधारी [हर्षपुरगच्छीय], सं., गद्य, पाकाहेम २४४८- पे.क्र.२, पृ. २८-४१, न्यायावतारवृत्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम २४४९, पृ. २२, न्यायावतारवृत्तिटिप्पनक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ पाकाहेम ६६७१, पृ. १५, न्यायावतारवृत्तिटिप्पन, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ न्यायावतारसूत्र-(सं.)वृत्तिनुं (सं.)टीप्पणक आचार्य-देवभद्रसूरि मलधारी[हर्षपुरगच्छीय], सं., गद्य, पाकाहेम २४४८ - पे.क्र. २, पृ. २८-४१, न्यायावतारवृत्ति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४१ पाकाहेम २४४९, पृ. २२, न्यायावतारवृत्तिटिप्पनक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२२ 440
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy