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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- सम्बन्धकारिका अने भाष्यना मात्र प्रतीकपाठ छे. अध्याय-७ सूत्र २० सुधी छे. अन्तभाग अपूर्ण छे., १३९ अने १७९ खूटे छे. कुल झे.पृष्ठ-३९१, डीवीडी-७१/८० तालाद ३१३, पृ. ३२५, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह वृत्ति अध्याय ५ थी ८, वि-१४८६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- मूल पत्रांक-३१७+८=३२५ छे. , विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. अन्ते मूलपाठ अलगथी आपेल छे. कुल झे.पृष्ठ-२६८, डीवीडी-९३/९५ । लिंता ६०१, पृ. ५१०, तत्त्वार्थसूत्रभाष्यवृत्ति, वि-१७८५, संपूर्ण पाकाहेम ८००- पे.क्र. १, पृ. २६८, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वो-(सं)भाष्य व टीका, वि-१५७३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१८२८२. कुल झे.पृष्ठ-२६८ पाकाहेम १०५५- पे.क्र. १, पृ. १-५३७, तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्यटीकासहित, वि-१८वी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम १६७६४, पृ. २८२, तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्य-वृत्ति, वि-१६५४, संपूर्ण प्रत विशेष- चित्र पृष्ठिका सह कुल झे.पृष्ठ-१९० तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, भांका २२५, पृ. २०८, तत्त्वार्थवृत्ति, संपूर्ण डीवीडी-८८ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १४०९४, पृ. २३, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सावचूरि, वि-१८१५, संपूर्ण प्रत विशेष- स्तबकरूपे लखेलो महत्त्वनो ग्रन्थ. तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-सम्बन्धकारिका-(सं.)टीका आचार्य-देवगुप्तसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः वीरं प्रणम्य सर्वज्ञं तत्त्वार्थस्य विधीयते... भांता ४९, पृ. ३९१, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वोपज्ञभाष्य की सिद्धसेनीया टीका, अपूर्ण प्रत विशेष- सम्बन्धकारिका अने भाष्यना मात्र प्रतीकपाठ छे. अध्याय-७ सूत्र २० सुधी छे. अन्तभाग अपूर्ण छे., १३९ अने १७९ खूटे छे. कुल झे.पृष्ठ-३९१, डीवीडी-७१/८० तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १४०९४, पृ. २३, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सावचूरि, वि-१८१५, संपूर्ण प्रत विशेष- स्तबकरूपे लखेलो महत्त्वनो ग्रन्थ. तत्त्वार्थाधिगमसूत्र-(सं.)भाष्य वाचक-उमास्वाति, सं., गद्य, आदि वाक्यः सम्यग्दर्शनशुद्धं यो ज्ञानं विरतिमेवं चाप्नोति।... लिंता ९४४, पृ. ८९, तत्त्वार्थभाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध, मुद्रित सूचीमां पृष्ठ संख्या- ८९ आपेल छे. अताका ४७३, पृ. ?, तत्वार्थाधिगमसूत्र भाष्य, संपूर्ण प्रत विशेष- (५९/१५२५), पृष्ठ माहिती नथी. डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ७९९, पृ. ४३, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वो-(सं) भाष्य, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४३ पाकाहेम ८००- पे.क्र. १, पृ. १-२६८, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सह स्वो-(सं)भाष्य व टीका, वि-१५७३, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१८२८२. 319
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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