SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 216
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पे. नाम- कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहवृत्ति सहित टिप्पणी सहित प्रत विशेष पत्र २४७मां खरतरगच्छीय आचार्य श्रीजिनचन्द्रसूरिनुं तथा सरस्वतीनुं एम वे अतिसुन्दर चित्रो छे कुल झे. पृष्ठ ९० पाकाहेम १२८३८- पे क्र. १ पृ. २७९ कातन्त्रव्याकरण दीर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि वि-१४९३. संपूर्ण पे. नाम- कातंत्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति सहित टिप्पणी सहित कुल झे. पृष्ठ- ११२ पाकाहेम १२८३९. पृ. २५ कातन्त्रव्याकरण दीर्गसिंहीवृत्ति कृद्वृत्ति टिप्पणीसहित त्रुटक वि-१५मी त्रुटक कुल झे. पृष्ठ- १० कातन्त्रव्याकरण-(सं.) दौर्गसिंहीवृत्तिनी (सं.) गोल्हणवृत्ति ( गोल्हणवृत्ति) आचार्य गोल्हण, सं., गद्य, पाकाहेम ६७८४, पृ. १-२९, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति - चतुष्कवृत्ति टिप्पनिका - गोल्हणवृत्ति, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १२८ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)पञ्जिकानी (सं.) प्रदीप टीका (प्रदीप टीका) पण्डित - देशल, सं., गद्य, पाकाहेम ६७८३, पृ. ४८, कातन्त्रव्याकरण पञ्जिकाप्रदीप, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झ. पृष्ठ-४८ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)बालावबोधवृत्ति आचार्य मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय (विधि]. सं. गद्य रचना सं. विक्रम १४४४ ग्रं. ५०९. पाकाम ९७२, पृ. १७, कातन्त्रव्याकरण चतुष्कवृत्ति बालावबोधवृत्ति प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- वृत्ति ग्रन्थाग्र-४९४. कुल झे. पृष्ठ- १७ पाकाहेम ९७३, पृ. १४, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति बालावबोधवृत्ति, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष - वृत्ति ग्रन्थाग्र-४८१. कुल झे. पृष्ठ- १४ पाकाहेम ३७०१ पृ. २१ कातन्त्रव्याकरण चतुष्कवृत्ति बालावबोधवृत्ति, वि-१६मी प्रतिपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २१ कातन्त्रव्याकरण- (सं.) बालावबोधवृत्तिनो (सं.) टिप्पनक आचार्य-मेरुतुङ्गसूरि[अंचलगच्छीय (विधि], सं., गद्य रचना सं. विक्रम १४४४, पाकाहेम ९७४, पृ. ३०, कातन्त्रव्याकरण चतुष्कवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक (चतुष्कवृत्तिदुण्ढिका), प्रतिपूर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-२१२८. कुल झे. पृष्ठ- २९ पाकाहेम ९७५, पृ. २१, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक (आख्यातवृत्तिदुण्डिका), प्रतिपुर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-१४३४. कुल झे. पृष्ठ- २१ पाकाहेम ९७६, पृ. ११, कातन्त्रव्याकरण कृद्वृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक (कृद्वृत्तिदुण्डिका), वि-१४६९. प्रतिपुर्ण प्रत विशेष ग्रन्थाग्र-७६७. कुल झे. पृष्ठ- ११ पाकाहेम २५५८, पृ. २८, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति स्वोपज्ञ बालावबोधवृत्ति टिप्पनक आख्यातवृत्ति दुण्डिका, वि-१९५९. संपूर्ण 199
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy