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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र ११मुं, २७मुं, ३४मुं डबल छे. पत्र ३८मुं, ३९मुं तथा ४७मुं तथा ६२थी ७१ पत्र नथी. कातन्त्रव्याकरणनी (सं.)दुर्गसिंहवृत्तिनुं (सं.)पञ्जिकाविवरण (पञ्जिकाविवरण) जैनेतर-त्रिलोचनदास, सं., गद्य, आदि वाक्यः प्रणम्य सर्वकर्तारं सर्वदं सर्वेवेदिनम् । सर्वीयं सर्वगं शर्वं सर्वदेवनमस्कृतम् ||.... पातासंघवीजीर्ण ६२- पे.क्र. २, पृ. १६५मुं, योगशास्त्रान्तर्गत श्लोक आदि, त्रुटक पे. विशेष- प्रकृतिसंधि सुधी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ८३-१, पृ. १०७, कातन्त्रवृत्तिपञ्जिका षष्ठ पाद, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-५०५०. कुल झे.पृष्ठ-४५ पातासंघवी ८३-२, पृ. १८८, कातन्त्रवृत्तिपञ्जिका अष्टम पाद, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ताडपत्र मूल पत्रांक-१ का पाठ पाद-६ के प्रारंभिक पाठ से मिलता है. पत्रांक-२ से पाठ में भिन्नता मिलती है. कुल झे.पृष्ठ-७८ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)पञ्जिकानी (सं.)प्रदीप टीका (प्रदीप टीका) पण्डित-देशल, सं., गद्य, पाकाहेम ६७८३, पृ. ४८, कातन्त्रव्याकरण पञ्जिकाप्रदीप, वि-१५मी, संपूर्ण ___ कुल झे.पृष्ठ-४८ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)वृत्ति नी पञ्जिका नी उद्योतवृत्ति जैनेतर-त्रिविक्रम भट्ट, सं., गद्य, पाताहेसं १४६, पृ. ८१, कलापकव्याकरणपञ्जिकोद्योत, संपूर्ण डीवीडी-८/१७ पाकाहेम ६७८२, पृ. २५, कातन्त्रव्याकरणआख्यातवृत्तिपञ्जिकोद्योत, वि-१५मी, अपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२४ कातन्त्रव्याकरण-(सं.)दौर्गसिंहीवृत्तिनी (सं.)गोल्हणवृत्ति (गोल्हणवृत्ति) आचार्य-गोल्हण, सं., गद्य, पाकाहेम ६७८४, पृ. १-२९, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति-चतुष्कवृत्ति टिप्पनिका-गोल्हणवृत्ति, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ कातन्त्रव्याकरण-दौर्गसिंहीवृत्तिनी (सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम २८७१, पृ. १४, कातन्त्रव्याकरण आख्यातवृत्ति प्रथमपाद दौर्गसिंहीवृत्तिसहित सावचूरि पञ्चपाठ, वि १५मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक-१५ थी ४८ द्वितीयपाद प्रत नं.२८७२ के अन्तर्गत है. कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम २८७२, पृ. ३४, कातन्त्रव्याकरण द्वितीयपादपर्यन्त दौर्गसिंहीवृत्तिसहित सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- पत्रांक-१ थी १४ प्रथमपाद प्रत नं.२८७१ के अन्तर्गत है. कुल झे.पृष्ठ-३५ कातन्त्रव्याकरणना (सं.)दुर्गसिंहीवृत्तिनी (सं.)टिप्पणी सं., गद्य, पाकाहेम ६७८४, पृ. १-२९, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्ति-चतुष्कवृत्ति टिप्पनिका-गोल्हणवृत्ति, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२८ पाकाहेम १२८३७- पे.क्र. १, पृ. २७६, कातन्त्रव्याकरण दौर्गसिंहीवृत्तिसहित टिप्पणीसहित आदि, वि-१५मी, संपूर्ण पण 198
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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