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________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८७९८ पृ. २. सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थल, वि-१८मी संपूर्ण प्रत विशेष उत्तराध्ययन- पाइयटीकागत. कुल झे. पृष्ठ-२ उत्तराध्ययनसूत्र (सं.) सुखबोधावृत्ति (सुखबोधावृत्ति), (सुबोधावृत्ति) आचार्य - नेमिचन्द्रसूरि, गुरु आचार्य - आम्रदेवसूरि, सं., प्रा., अप, गद्य, रचना सं. विक्रम ११२९, ग्रं. १२०००, आदि वाक्यः प्रणम्य विघ्नसङ्घातघातिनस्तीर्थनायकान् । .... पातासंघवीजीर्ण ९७- पे क्र. १ पृ. ? उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका आदि अनेक ग्रन्थनां परचुरण त्रुटक पानां संपूर्ण पे. नाम उत्तराध्ययनसूत्र सह सुखबोधा टीका, पे. विशेष पत्र अस्त-व्यस्त है. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी ११ पे क्र. २, पृ. १-१६० उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति, वि-१४००, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति भाग-१ डीवीडी - २१/४० पातासंघवी ११ पे क्र. ३. पू. १६१-२७६ उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति, वि-१४००, संपूर्ण थे. नाम- उत्तराध्ययनसूत्र सुबोधावृत्ति भाग- २ डीवीडी - २१/४० पातासंघवी ४३ पृ. ३४७ उत्तराध्ययनसुखबोधावृत्ति, अपूर्ण प्रत विशेष वचमा त्रुटक छे. अंत नथी. ताडपत्रना पानामां लखेलां अंकवाला पत्रो नथी. डीवीडी - २७/४५ पाताहेसं २८, पृ. २८९, उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित, संपूर्ण - डीवीडी-३/१३ पाताहेसं २९, पृ. २९२, उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित, वि - १२२८, संपूर्ण डीवीडी-३/१३ पाताहेसं १९३, पृ. ४२८, उत्तराध्ययन सुखबोधा नेमिचन्द्रटीका, संपूर्ण डीवीडी-१०/१८ भांता ८, पृ. ३९३, उत्तराध्ययन सुखबोधावृत्ति, वि-१३४२, अपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-६६३. पत्र-३९३+१+१-२-३९३. डीवीडी-६६/७५ भांता ९ पृ. ३४१, उत्तराध्ययन सुखबोधावृत्ति, वि - ११६४, अपूर्ण P प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-६६२. डीवीडी-६६/७५ भांता १०, पृ. ४२५, उत्तराध्ययन सुखबोधा सह संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं. १-६५४, पत्र- ४२५+२+३-२००४१०, पण सम्पूर्ण छे.. पत्र ११३ नथी. डीवीडी-६६/७५ पाकाहेम १०१०४, पृ. ९८ उत्तराध्ययनसूत्र सटीक त्रयोदशअध्यययनपर्यन्त सुखबोधावृत्ति, वि-१६मी प्रतिपूर्ण कुल ही पृष्ठ ९९ पाकाहेम १०१३८, पृ. २७२ उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित, वि-१६३९, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २७२ पाकाहेम १०५०६, पृ. २७६ उत्तराध्ययनसूत्र सुखबोधावृत्तिसहित वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २७६ उत्तराध्ययन सूत्र (सं.) वृत्ति सं. गद्य, पातासंघवीजीर्ण ९० पे क्र. १२, पृ. ?, कल्पसूत्रादि अनेक प्रकीर्णक ग्रन्थों के छूटक पन्ने, संपूर्ण पे. नाम- उत्तराध्ययनसूत्र सह टीका, पे. विशेष अपूर्ण झेरोक्ष पत्र ८२ पर है. 96
SR No.018002
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size6 MB
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