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________________ (भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ) पूर्णता स्थिति प्रतिलेखन वर्ष पत्र शांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम । कृति नाम क्लिन ओरिजिनल सीवीसी (सीवीडी- झे.पत्र/ओ.पत्र) प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कति प्रकार पाठ क्रमशः मिलता है. श्लोक८७ :पय षड्दर्शनसमुच्चय षड्दर्शनसमुच्चय-लघुवृत्ति (पे.३) तर्कसङ्ग्रह-तर्कदीपिका टीका हरिभद्रसुरि सोमतिलकसूरि अन्नं भट्ट सद्दर्शनं जिनं नत्वा । सज्ज्ञानदर्पणतले २८७ धर्मरसायण जीर्ण : संपणं वि. १८१२ : १६ :९१(८) (पे.पृ.३२०-४२B) पे.वि. : पूर्ण. प्रारंभिक भाग का पाठ नहीं मिलता है. (जुनो नं. १८७५-७६/०)प्रतिलेखक की भूल से गाथाक्रम ११० की जगह १ दिया गया है. इस प्रकार से कुल गाथा-२०४. पदमनन्दिदेव गा.१९५ णमियूण वढमाणं परम २८८ धर्मरसायण वि.१८१२ 193 पद्य ९१(७) पद्य णमिऊण देवदेवं धरणि धर्मपरीक्षा कागज वि. १५९५ १३७ २१(९२) (जुनो नं. १८७५-७६/०) अ.वा.-पावइ सासयं ठाणं. (जुनो नं. १८७५-७६/०)संशोधित प्रति. पदच्छेद, टिप्पणादि से युक्त. प्रतिलेखन पुष्पिका. कर्मचन्द राज्य प्रवर्तमाने. इसके संपादन में जिनरत्नकोश का मदद लिया गया है. हरिषेण अपभ्रं. वि.१०४४ सिद्धिपुरन्धिहिकन्तु अध्याय ११सन्धि ग्रं. :२०७० २९० धर्मपरीक्षा जीर्ण सपूर्ण कागज १०१ ९१(६८) मनोहर (दिग.) हिन्दी गा.१०८3 आचाराङ्गसूत्रप्रदीपिका पण, अरहन्तदेव गुरु.... :पद्य १९७-३(६७ थी ६९)=१९४ : ९१(१३१) श्रेष्ठ अपूर्ण कागज वि. १६१२ (जुनो नं. १८७५-७६/०)पत्रांक-४३.५७ अवास्तिवक घटते पत्र है. भाषा-प्राचीन हिन्दी.रचना स्थल :दादुर (जुनो नं. १८८२-८३/२३७A)सूचीपत्र नं.१-१८., (१०x४, १५४५२) लेखन स्थल : देवराजपुर, विशिष्ट रचना प्रशस्ति. (जुनो नं. १८८२-८३/०)..................... (पे. पृ. 98-६8....... ग्रं.१०५०० वि. १५७३ शासनाधीश्वरो जीयाद जिनहंससूरि जीर्ण गद्य ९१(२०).... संपण .................. आचाराड़गसूत्र-दीपिका टीका २९२ प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसग्रह (4.9) प्रमाणनमेकलिका प्रमाणप्रमेयकलिका (ये.२) सर्वार्थनिराकरणवादस्थल नरेन्द्रसेन :गद्य ननु भवतां प्रमाणशास यः कश्चिदिहविपश्चित (ये.प्र. ८A-RA) पे.वि. : प्रतिलेखक की भूल से पत्र लिखने की जगह ८ लिखा गया है. .........।(.पू. ९4-908).... (पे.३) अपशब्दनिराकरणवादस्थल प्रमाण स्वपरव्यवसाय गद्य
SR No.018001
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages582
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size38 MB
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