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________________ (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र स्थिति प्रत प्रकार ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य कृति प्रकार द्रोणाचार्य सं. गं.9000 ओघनियुक्ति-वृत्ति ओघनियुक्ति सटीक ओघनियुक्ति मध्यम संपूर्ण कागज : वि.१५७० १४६ (१६९) दुविहोवक्कमकालो सामा पद्य ग्रन्थान-८३८५...(१३.५४५.२.... गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. भद्रबाहुस्वामी गा. ११६३ ग्रं. १४३२ द्रोणाचार्य गं.9000 ओघनियुक्ति-वृत्ति ओघनियुक्तिमूल ओघनियुक्ति माध्यम वि. १६मी गद्य २३ (२४) दुविहोवक्कमकालो सामा: पद्य आ प्रतमा गाथा ११६४ आपेल छे., (१३.५४५.२).. गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे. भद्रबाहुस्वामी गा.११६३. १४३२ ..... मध्यम कागज भद्रबाहस्वामी गा.६९७ :पिण्डे उम्गम उपायण पद्य (१३२). मध्यम संपूर्ण १४८५९ पिण्डनियुक्ति पिण्डनियुक्ति १४८६० पिण्डनियुक्ति सटीक पिण्डनियुक्ति पिण्डनियुक्ति-बृहत्ति निरयावलिकासूत्र वृत्ति कागज ..१.१६मा १२९ पिण्डे उग्गम उप्पायण .१३.५४५:२) गाथा ६९७ थी ७९० सुधी मळे छे. टीका ग्रन्थान-9000., (१३.५४५.२) गाथा ६९७ थी ७२० सुधी मळे छे.. ग्रन्थान ७००० थी ७५०० सुधी मळे छे. ग्रन्थान-६५०. प्रथम पत्रमा सूचना भावने दर्शावतुं गा.६९७ भद्रबाहुस्वामी मलयगिरिसूरि मध्यम गं.७२५० गद्य संपूर्ण कागज : वि. १५७१ (१३) चित्र छे..(१३.५४५.२)... ग्र.६४० पाश्चेनाथं नमस्कृत वि.१२२८ वि. १६मी निरयावलिकादिपञ्चोपाड़गसूत्र-वृत्ति १४८६२ सूत्रकृताङ्गसूत्र नियुक्ति सूत्रकृताङ्गसूत्र-नियुक्ति :१४८६३ पञ्चकल्पभाष्य पञ्चकल्पसूत्र-महाभाष्य (१२.७४५) कागज गा.२०८ श्रीचन्द्रसूरि जीर्ण भद्रबाहस्वामी श्रेष्ठ सङ्घदास गणि क्षमाश्रमण जीर्ण संपूर्ण प्रा.. संपूर्ण गद्य (७) पद्य (४०) : पद्य कागज तित्थयरे य जिणबरे ४१ वन्दामि भद्दबाहुं वि.१६मी ...ग्रन्थाग-३७३५: पृष्ठ ४१....(१३४५).. प्रा. गा.२५७४ ग्रं. १४८६४ उत्तराध्ययनसूत्रनियुक्ति संपूर्ण कागज । वि. १६मी ११ । (१२) प्रथम पत्रमा महावीरस्वामीनुचित्र छे. गाथा संख्या ७०० आपेल छे...(१३४५.२).. भद्रबाहस्वामी गा.५९६ .६०७ श्रेष्ट : वि.१५०५ :१३३ ग्रन्थान-८८०..पत्र ६७९ डबल.छ...(१३४५). उत्तराध्ययनसूत्र-नियुक्ति १४८६५ : अङ्गविज्जा अड्गविज्जा पइण्णय. १४८६६ आवश्यकसूत्रबृहद्वृत्ति (शिष्यहिता) ग्रं. ९००० श्रेष्ठ संपूर्ण कागज : वि. १६६७ ३२५ परिमाण श्लोक संख्या २२००० आपेल छे., (१२.७४५.२) आवश्यकसूत्र-शिष्यहितावृत्ति हरिभद्रसूरि ..... स.प्रा. ग्रं.२२००० प्रणिपत्य जिनवरेन गद्य 544
SR No.018001
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages582
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size38 MB
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