SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 445
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्थिति ग्रंथांकपत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम प्रत प्रकार पूर्णता भाषा (पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य : क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता ९९९७ समवायाङ्गसूत्र वृत्ति मध्यम कागज वि. १६मी (६९) ग्रन्थाग्र-३७७५. प्रथम पत्रमा अष्टमङ्गल तथा शासनाधिष्ठायक देव-देवी सहित समवसरणनुं भव्य चित्र छे...(१३.५४५.२.... गय समवायागसूत्र-वृत्ति भगवतीसूत्र अभयदेवसूरि मध्यम ग्रं.३५७५ :कागज वि. ११२० वि. १६मी वर्द्धमानमानम्य सम २७७ ९९९८ संपूर्ण (२७८) प्रथम पत्रमा क्रमांक ९९९०ना टिप्पणमां जणाव्या प्रमाणेन मनोहर चित्र छे..(१३.५४५.२) प्रा. :गं. १६000 सुधर्मास्वामी जीर्ण गद्य नमो अरिहन्ताणं... ४२ संपूर्ण कागज वि.१६मी ग्रन्थान-३११४..(१३.५४५.२.... ९९९९ भगवतीसूत्र चूर्णि भगवतीसूत्र-चूर्णी १००00 भगवतीसूत्रवृत्ति :श्लोक 3000.... पद्य मध्यम संपूर्ण कागज । वि.१५७४ :३२० प्रथम पत्रमा हस्त्यारूढ़ शासनदेव-देवी सहित समवसरणनुं आकर्षक चित्र छे., (१३.५४५.२) सर्वज्ञमीश्वरमनन्त ग द्य भगवतीसूत्र-टीका १०००१ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र अभयदेवसूरि श्रेष्ठ ग्रं. १८६१६.......... वि. ११२८ कागज वि. १६मी प्रथम पत्रमा मेघकुमारनी प्रव्रज्याना भावने सूचवता चित्र सहित समवसरणनुं सुन्दर चित्र छे...(१३.५४५:२० : सुधास्वामी गं. ५000 तेणं कालेणं तेणं १०००२ : ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र वृत्ति मध्यम संपूर्ण कागज वि. १६मी 100 श्लोक-३७००. प्रथम पत्रमा प्रव्रज्याने माटे उत्सुक मेघकुमारने तेनी आठ पत्लिओ समजावी रही छे ते भावने सूचवतुं हदयंगम चित्र छे., : (१३.५४५.२) नत्वा श्रीमन्महावीरें गद्य ज्ञाताधर्मकथाड़गसूत्र-वृत्ति १०००३ उपासकदशाङ्गसूत्र :अभयदेवसूरि श्रेष्ठ ग्र. ४३६६ ...... कागज वि. ११२० ! वि. १६मी संपूर्ण :१६ (१७) सुधर्मास्वामी प्रा. ग्रं.८१२ तेणं कालेणं तेणं प्रथम पत्रमा भगवान् महावीर, तेमना दश महान श्रमणोपासको, शासनदेव-देवी, इन्द्र अने इन्द्राणीनुं भव्य चित्र छे., (१३.५४५.२) पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि'मां सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. प्रथम पत्रमा अन्धकवृष्णि राजानी धारणी राणीनो पुत्र गौतम भार्याओनो त्याग करीने भगवान पासे प्रव्रज्या ले छे ते भाव सूचवतुं चित्र छे., (१३.५४५.२) १०००४ अन्तकृदशाङ्गसूत्र मध्यम कागज वि.१६मी १५
SR No.018001
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages582
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy