SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रत प्रकार प्रत ताडपत्र, कागज, आदि जो हो उसको प्रिन्ट किया गया है. (च) प्रतिलेखन संवत प्रत में उपलब्ध विक्रम शक आदि या लेखन शैली आदि के आधार पर अनुमानित विक्रम शतक (छ) पृष्ठ माहिती कहाँ से कहाँ तक, घटते-बढ़ते पृष्ठों की संख्या व कुल उपलब्ध पृष्ठ यथा 3 से 50-4 =56. : - (ज) क्लीन ओरीजीनल डीवीडी / झेरोक्ष पत्र प्रत का क्लीन एवं ओरीजीनल डीवीडी नंबर झेरोक्ष पृष्ठ माहिती के साथ प्रिन्ट किया गया है. (झ) प्रत विशेष प्रत से संबंधित प्रत विशेष को यहाँ प्रिन्ट किया गया है. (झ) प्रत का नाप लंबाई, चौडाई इंच में. - (झ) पंक्त्यक्षर प्रत के प्रति पृष्ट पर अंदाजित पंक्तियाँ. प्रत की प्रति पंक्ति में अंदाजित अक्षर. पंक्ति, अक्षर व कुल पृष्ठों के गुणनफल को 32 से भाग दे कर प्रत का अंदाजित ग्रंथाग्र निकाला जा सकता है. (झ) प्रतिलेखन स्थल : प्रतिलेखन पुष्पिका में प्राप्त स्थल को यहाँ प्रिन्ट किया गया है. * कृति माहिती स्तर इस स्तर पर प्रत में रही कृतियों की जरूरी सूचना होगी. (क) यदि प्रत में एक ही कृति होगी तो मात्र उसी की सूचना आएगी. (ख) यदि प्रत में संयुक्त कृति परिवारांश रूप एकाधिक कृतियाँ (यथा मूल व टीका) हो तो उन सभी की सूचनाएँ क्रमशः नीचे-नीचे आएगी. (ग) यदि प्रत में अनेक पेटा कृतियाँ हो तो पे संकेत के साथ पेटा क्रमांक से सभी कृतियाँ (उपरोक्त क, ख दोनों प्रकार की क्रमशः आएँगी.. प्रथम पंक्ति (अ) प्रत में पेटा कृतियाँ हो तो पेटा नाम प्रत नाम के ही नियमों के तहत कृति के मुख्य नाम से भिन्न प्रत में यथोपलब्ध अन्य नाम से आएगा एवं वह नाम 'सह' आदि वाला भी बनेगा. साथ मे पेटांक क्रमांक भी दिया गया है. पेटांक में 'ख' प्रकार से कृतियाँ हो तो पेटानाम बनेगा ही और अन्यथा यह खाली भी रह सकता है. ऐसे में कृतिनाम ही कृति परिचयांक के साथ इस पंक्ति में आ जाएगा (कृति नाम इसके नीचे की पंक्ति में आएगा.) (अ) यदि पेटांक नाम न हो तो पेटांक क्रमांक के साथ उसकी कृति का नाम प्रिन्ट किया गया है. (आ) यदि पेटांक नाम न हो तो कर्ता माहिती प्रिन्ट की गई है. (इ) यदि पेटांक नाम न हो तो कृति की भाषा प्रिन्ट की गई है. (ई) यदि पेटांक नाम न हो तो परिमाण माहिती को प्रिन्ट किया गया है... (उ) यदि पेटांक नाम न हो तो कृति का रचना वर्ष प्रिन्ट किया गया है. (ऊ) यदि पेटांक नाम न हो तो कृति का आदिवाक्य प्रिन्ट किया गया है.
SR No.018001
Book TitleHastlikhit Granthsuchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherStambhan Parshwanath Jain Trith Anand
Publication Year2005
Total Pages582
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy