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________________ सूरियाम 1126 - अभिधानराजेन्द्रः - भाग 7 सूरियाभ व्वते जेणेव भदसालवणे तेणेव उवागच्छंति सव्वातुयरे सव्वपुप्फे कालागुरुपवरकुं दुरुक्कतुरुक्कधूवमघमघतगंधुद्धयाभिरामं सव्वमले सव्वोसहिसिद्धत्थए य गेण्हंति गेण्हित्ता जेणेवणंदणवणे करेंति, अप्पेगइया देवा सूरियामं विमाणं सुगंधगंधियं गंधवट्टितेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता सव्वतुयरे जाव सव्वोसहि- भूतं करेंति अप्पेगतिया देवा हिरण्णवासं वासंति सुवण्णवासं सिद्धत्थए सरसगोसीसचंदणं गिण्हति गिण्हित्ता जेणेव सोमण- वासंति रययवासं वासंति वइरवासं वासंति पुप्फवासं० स्सवणे तेणेव उवागच्छंति सव्वतुयरे जाव सव्वोसहिसिद्धत्थए फलवासं० मल्लवासं० गंधवासं० चुण्णवासं० आभणवासं य सरसगोसीसचंदणं च दिव्वं च सुमदामं दद्दरमलयसुगंधिए य वासंति अप्पेगतिया देवा हिरण्णविहिं भाएंति, एवं सुवन्नविहिं गंधे गिण्हंति गिणिहत्ता एगतो मिलायंति 2 यित्ता ताए उक्किट्ठाए भाएंति रयणविहिं पुप्फविहिं फलविहिं मल्लविहिं चुण्णविहिं जाव जेणेव सोहम्मे कप्पे जेणेव सूरियाभे विमाणे जेणेव वत्थविहिं गंधविहिं भाएंति, तत्थ अप्पेगतिया देवा आमरणविहिं अभिसेयसभा जेणेव सूरियामे देवे तेणेव उवागच्छंति उवाग- भाएंति, अप्पेगतिया चउव्विहं वाइतं वाइंति ततं विततं घणं च्छित्ता सूरियाभं देवं करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए झुसिरं, अप्पेगइया देवा चउय्विहं गीयं गायंति, तं जहाअंजलिं कट्ट जएणं विजएणं वद्धावितिं वद्धावित्ता तं महत्थं उक्खित्तायं पायत्तायं मंदाय रोइतावसाणं, अप्पेगतिया देवा दुयं महग्धं महरिहं विउलं इंदाभिसेयं उवट्ठवेंति। तएणं तं सूरियामं नट्टविहिं उवदंसिंति अप्पेगतिया विलंबियनट्टविहिं उवदंसें ति देवं चत्तारि सामाणियसाहस्सीओ अग्गमसीओ सपरिवारातो अप्पे गतिया देवा दुतविलंबियं णट्टविहिं उवदंसें ति, एवं तिन्नि परिसाओ सत्त अणियाहिवइणो ०जाव अन्नेवि बहवे अप्पेगतिया अंचियं नट्टविहिं उवदंसे ति अप्पेगतिया देवा सूरियाभविमाणवासिणो देवा य देवीओ य तेहिं साभाविएहि य आरभडं भसोलं आरभडभसोलं उप्पयनिचयपमत्तं संकुचियपवेउव्विएहि य वरकमलपइट्ठाणेहि य सुरभिवरवारिपडिपुग्नेहिं सारियं रियारियं मंतसंभंतणामं दिव्वं णट्टविहिं उवदंसेंति चंदणकयचचिएहिं आविद्धकं ठेगुणे हिं पउमुप्पलपिहाणे हिं अप्पेगतिया देवा चउव्विहं अभिणयं अभिणयंति, तं जहासुकुमालकोमलकरयलपरिग्गहिएहिं अट्ठसहस्सेणं सोवनियाणं दिट्ठतियं पाडंतियं सामंतोवणिवाइयं लोगअंतोमज्झावसाणियं, कलसाणं जाव अट्ठसहस्सेणं भोमिजाणं कलसाणं सव्वोदएहिं. अप्पेगतिया देवा वुक्कारेंति अप्पेगतिया देवा पीणेति अप्पेगतिया सव्वमाट्टियाहिं सव्वतुयरेहिं जाव सव्वोसहिसिद्धत्थएहि य वासेंति अप्पेगतिया हक्कारेंति अप्पेगतिया विणेति तडवेति सव्विड्डीए जाव वाइएणं महया 2 इंदाभिसेएणं अमिसिंचति, अप्पेगइया वगंति अप्फोर्डे ति अप्पेगतिया अप्फोडेंति वग्गंति तएणं तस्स सूरियाभस्स देवस्स महया 2 इंदामिसेए वट्टमाणे अप्पे० तिवई छिंदंति अप्पेगतिया हयहेसियं करेंति, अप्पेगअप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाणं णमोयगं नातिमट्टियं तिया हत्थिंयगुलगुलाइयं करेंति, अप्पेगतिया रहघणघणाइयं पविरलफुसियरयरेणुविणासणं दिव्वं सुरभिगंधोदगं वासं करेंति, अप्पेगतिया हयहेसियहत्थिगुलगुलाइयरहघणघणावासंति, अप्पेगतिया देवा हयरयं नहरयं भट्टरयं उवसंतरयं इयं करेंति, अप्पेगतिया उच्छोलेंति अप्पेगतिया पच्छोलेंति पसंतरयं करेंति, अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाणं आसिय- अप्पेगतिया उक्किट्ठियं करेंति अप्पे० उच्छोलेंति पच्छोलेंति संमजिओ वलित्तं सुइसमठ्ठरत्यंतरावणवीहियं करेंति, अप्पे- उक्कि० अप्पेगतिया तिनि वि, अप्पेगतिया उवयंति अप्पेगतिया गतिया देवा सूरियाभं विमाणं मंचाइमंचलियं करेंति, अप्पेगइया उववायंति अप्पेगतिया परिवयंति अप्पेगइया तिन्नि वि, देवा सूरियामं विमाणं णाणाविहरागोसियं झयपडागाइपडाग- अप्पेगइया सीहनायंति अप्पेगतिया दद्दरयं करेंति अप्पेगतिया मंडियं करेंति, अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाण लाउल्लो- भूमिचवेडं दलयंति अप्पे० तिन्नि वि, अप्पेगतिया गचंति इयमहियं गोसीससरसरत्तचंदण-दद्दरदिण्णपंचंगुलितलं करेंति अप्पेगतिया विजुयायंति अप्पेगतिया वासं वासंति अप्पेगतिया अप्पेगतिया देवा सूरियामं विमाणं उवचियचंदणकलसं चंदण- तिन्नि वि करेंति,अप्पेगतिया जलंति अप्पेगतिया तवंति अप्पेगघडसुकयतोरणेपडिदुवारदेसभागं करेंति, अप्पेगतिया देवा तिया पतति अप्पेगतिया तिन्नि वि, अप्पेगतिया हक्कारेंति सूरियामं विमाणं आसत्तोसत्तविउलवट्टवर घारियमल्लदामक- अप्पेगतिया थुक्कारेंति अप्पेगतिया धक्कारेंति, अप्पेगतिया साई लावं करेंति अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाणं पंचवण्णसुरभि- साइं नामाइं साहेति अप्पेगतिया चत्तारि वि, अप्पेगइया देवा मुक्कपुप्फपुंजो वयारकलियं करेंति, अप्पेगतिया देवा सूरियामं देवसन्निवायं करेंति, अप्पेगतिया देवुञ्जोयं करेंति, अप्पेगझ्यादेवुक्क
SR No.016149
Book TitleAbhidhan Rajendra Kosh Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayrajendrasuri
PublisherRajendrasuri Shatabdi Shodh Samsthan
Publication Year2014
Total Pages1276
LanguageHindi
ClassificationDictionary
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