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________________ पुरेकम्म 1056- अभिधानराजेन्द्रः - भाग-५ पुला जे भिक्खू उदउल्लेण वा ससणिद्धेणे वा हत्थेण वा मत्तेण वा पुरेवाय पुं० (पुरोवात) पूर्वदिकसम्बधिनि वाते, ज्ञा०१ श्रु०११ अ०) दविएण वा भायणेण वा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पुरेसखंडि पुं० (पुरःसंखडि)जातनामकरणविवाहाऽऽदिके आभ्युदयिके पडिगाहेइ, पडिगाहंतं वा साइज्जइ।।४०|| एवं उदउल्ले 41, __ कार्य क्रियमाणायां संखडौ, आचा०२ श्रु०१ चू०१ अ०१ उ०। ससणिद्धे 42, ससरक्खे 43, मट्टिया 44, उसे 45, लोणे य पुरेसंथुयपुं० (पुरःसंस्तुत) भातृव्याऽऽदौ प्राकृतपरिचये, आचा०२ श्रु० 46, हरियाले 47, मणोसि (लाए)णे 48, रस्सगए 46, गेरू १चू०१ उ०। पितृव्याऽऽदौ, आचा०२ श्रु०१चू०१ अ०६ उ०। य 50, सेटिए 51, हिंगुलु 52, अंजणे 53, लोद्धे 54, कुक पुरोकाउ अव्य० (पुरस्कृत्य) अङ्गीकृत्येत्यर्थे, सूत्रा०१ श्रु० 1 अ०३ उ०। (कु)सा 55, पिट्ट 56, कंद ५७,मूल 58, सिंगवेरे य 56, पुरोग पु० (पुरोग) पुरःसरे नायके, बृ०१ उ०३ प्रक०। पुप्फकं 60, कुटुं 61, एए एकवीसं भवे हत्था पडिगाहेइ, पडिगाहंतं वा साइज्जइ॥६१ पुरोवग पुं० (पुरोवग) राजवृक्षे, आचा०। पुरोहड न० (पुरोहत) रमणीयसंयतीप्रायोग्यविचारभूमिके, बृ०२ उ०। गिहिणा सचित्तोदगेण अप्पणट्ठा धोयं हत्थाऽऽदि अपरिणयं उदउल्लं अग्रद्वारे, औ०। असमे, दे० ना०६ वर्ग 15 गाथा। भवति. पुढवीमओ मत्तओ कंसमयं भायणं,अंजणमिति सोवीरयं, रसंजणं वा; ते पुढविपरिणामावस्सिया जेण सुवणं वणिज्जति, सोरट्टिया पुरोहय पुं० (पुरोधरन) शान्तिकारिणि, स्था०६ ठा०। तुवरि मट्टिया भण्णति तंदुलपिट्ठ आमं असच्छोवहततंदुलाण कुक्कसा पुरोहिय पु० (पुरोहित) पौरजानपदयुक्तस्य राज्ञो होमाऽऽदिनाऽसचित्तवणस्सती, तुण्णोओ कुट्टो भण्णति, असंसर्से अणुवलित्तं / शिवाऽऽद्युपद्रवशमने, बृ०३ उ० / स्था० / ज्ञा०1 प्रश्न०। रा०। प्रव०। उद (उल्ले) मट्टिया वा, रस्सगते चेव होति बोधव्वे / "जो होम (ग्म) जवादिएहिं असिवादि पसमेति सो पुरोहितो।" नि० चू०४ उ०। हरिताले हिंगुलए, मणोसिला अंजणे लोणे // 252 / / पुरोहियरयण न० (पुरोहितरत्न) पुरोहितः शान्तिकर्माऽऽदिकारी स एव गेरूयवणिय सेडिय, सोरट्ठिय पिट्ठ कुक्कुसकते वा। स्वजातिमध्ये समुत्कर्षयन रत्नं निगद्यते। पुरोहितानामुत्कृष्ट, 'एगमेकुट्ठमसंसढे वा, णेतव्वे आणुपुच्चीए।।२८३।। गस्स णं चक्रवट्टिस्स चउद्दस रयणा इत्थीरयणे गाहावइरयणे पुरोहिएत्तो एगतरेणं, हत्थेणं दव्विभायणेणं वा! यरयणे०।" स०१४ सम०। आ० म०। स्था। जे भिक्खू असणादी, पडिगाहे आणमाणदीणि / / 284 / / पुलअ धा० (दृश) प्रेक्षणे, "दृशो निअच्छ-पेच्छावयच्छावयज्झ उदउल्लादीए तू, हत्थे मत्ते य होति चतुभंगो। वज सव्वव-देक्खौ अक्खावक्खावअक्ख-पुलोअपुढवी आउ वणस्सति, मीसे संजोग पच्छित्तं // 255 / / पुलएनिआवआस-पासाः" ||4|181 / / इति दृशेः पुलअ आदेशः / पुलअइ पश्यति / प्रा०४ पाद। हत्थे उदउल्ले मत्ते उदउल्ले, हत्थे उदउल्ले नो य मत्ते, नो हत्थे मत्ते, नो हत्थे नो मत्ते / एवं पुढवादिसु चउभंगो / एते चउरो भङ्गापुढवी पुलआअधा० (उल्लस) उल्लासे. "उल्लसेरूसलोसुंभ-णिल्लसआउवणस्सतिसु संभवंति, णो सेसकाएसु।मीसेसु विचउभंगा कायव्या, पुलआअ-गुंजोल्लारोआः" ||6 / 4 / 202 / / इति उत्पूर्वस्य लसतेः संजोगपच्छितं, पढमभंगे दो मासलह, सेसेसु एक्कवं, चरिमो सुद्धो। 'पुलआअ आदेशः। 'पुलआअइ' / उल्लसति / प्रा० 4 पाद। अहवा मीसे संजोगपच्छितं ति / सचित्ता आउणा उदउल्लो हत्थो पुलइअत्रि० (पुलकित)रोमाञ्चे, 'रोमंचिअंआरेइअं, उससिअंपुलइ मासलहु। पुढविकायगतो भत्तो, एत्थंज पच्छित्तं तं संजोगपच्छित्तं भवति। च कंटइ।" पाइ० ना०७६ गाथा। एवं सर्वत्रा योज्यम्। * दृष्ट त्रि० दृष्टे, ''सच्चविअ-दिट्ट-पुलइअ-निअच्छिआई निहालिअसंसिट्टे इमं कारणं अत्थम्मि।" पाइ० ना०७८ गाथा। मा किर पच्छाकम्मं, होज्ज असंसट्टगं तओ वज्ज। पुलंपुल न० (पुलम्पुल) अनवरते, प्रश्न०३ आश्र० द्वार। करमत्तेहिं तु तम्हा, संस?हिँ भवे गहणं // 286 / / पुलंपुलप्पभूय त्रि० (पुलपुलप्रभूत) अनवरतोदभूते, प्रश्न० 3 आश्र० द्वार। कारणे गहणं - पुलग पु०(पुलक) रत्नविशेषे, आ०म०१ अ०। सूत्र०। ज्ञा०। प्रज्ञा०। असिवे ओमोयरिए, रायडुढे भए व गेलण्णे। लवे, ज्ञा०१ श्रु०१ अ०। रा०नि० / विपा०। श्रद्धाणरोधए वा, जतणागहणं तु गीतत्थे / / 287|| पुलगकंड न० (पुलककाण्ड) रत्नप्रभायाः पृथिव्याः पुलकरत्नमये काण्डे, तत्रा जयणाए गहणं ति जयणाए पणगपरिहाणीए मासलहुं पत्तो, ततो "रयणप्पभाए पुढवीए पुलयकंडे दस जोयणसयाई बाहल्लेलं पण्णत्ते / " गेणहति। नि० चू०४ उ०। स्था०१० ठा०। स०।। पुरकम्मिया स्त्री० (पुरःकम्मिका) पुरः प्रथम कर्म यस्यां सा पुरःकर्मिका। | पुलगसार पुं०(पुलकसार)। वर्णातिशये, ज्ञा०१ श्रु०१ अ० / नि०। पुरःकर्मदूषणदुष्टायाम, ध०३ अधि०। | पुला स्त्री० (पुला) लघुतरस्फोटिकासु पुलाकिकासु, स्था० 10 ठा० /
SR No.016147
Book TitleAbhidhan Rajendra Kosh Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayrajendrasuri
PublisherRajendrasuri Shatabdi Shodh Samsthan
Publication Year2014
Total Pages1636
LanguageHindi
ClassificationDictionary
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