________________ अप्पाबहुय(ग) 660 - अभियानराजेन्द्रः - भाग 1 अप्याबहुय(ग) असंखिज्जगुणा 1, संमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं | संखे जगुणा, नीललेस्सा विसे साहिया, कण्हले स्सा जहा तेउक्काइयाणं 2, गम्भवकतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं विसेसाहिया, काउलेस्साओ संखिज्जगुणाओ, नीललेस्साओ जहा ओहियाणं, तिरिक्खजोणियपाणं नवरं काउलेस्सा विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ / / 7 / / संखिज्जगुणा 3, एवं तिरिक्खजोणिणीणं वि। "एएसि णं भंते ! इत्यादि सुगमम् / नवरं सर्वास्वपि लेश्यासु स्त्रियः 'पुढवीकाइयाणमित्यादि' सुगमम् / द्वित्रिचतुरिन्द्रियविषयमपि प्रचुराः, सर्वसङ्ख्ययाऽपि च तिर्यक्पुरुषेभ्य तर्यक्-स्त्रियस्त्रिगुणाः, पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकसूत्रे कापोतलेश्या असंख्यातगुणा न त्वनन्तगुणाः, “तिगुणाऽतिरूवअहिया, तिरियाणं इत्थिया मुणेयव्या'' इति वचनात्। पञ्चेन्द्रियतिरश्चां सर्वसंख्ययाऽप्यसंख्यातत्वात् / संमूच्छिमपञ्चे- ततः संख्यातगुणा उक्ताः, नपुंसकास्तु गर्भव्युत्क्रान्तिकाः कतिपय इति न्द्रियतिरश्वां यथा तेजस्कायिकानामुक्तं तथा वक्तव्यम् / न ते यथोक्तमल्पबहुत्वं व्याघ्नन्तिा तेजस्कायिकानामिव तेषामप्याद्यलेश्यात्रयमात्रसद्भावात्। गर्भव्युत्क्रा- | सम्प्रति संमूछिमपञ्शेन्द्रियतिर्यग्यो निकगर्भव्युत्क्रान्तिकन्तिकपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकसूत्रम्- तेजोलेश्याभ्यः कापोतलेश्याः पञ्चेन्द्रियतिर्यग्यो निकतिर्यक् स्त्रीविषयमष्टम, तथा सामान्यतः संख्येयगुणा वक्तव्याः, तावता-मेव तेषां केवलवेदसोपलब्धत्वात्, पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकतिर्यस्त्रीविषयं नवमं, तथाच सामान्यतशेषमौघिकसूत्रं वक्तव्यम् / एवं तिर्यग्योनिकानामपि सूत्रं वक्तव्यम्। तथा स्तिर्यग्योनिकतिर्यस्त्रीविष्यं दशमं सूत्रमाहचाऽऽह-(एवं तिरिक्खजोणिणीण त्ति) एतेसि णं भंते ! संमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं अधुना संमूछिमगर्भव्युत्क्रान्तिकतिर्यक्पञ्चेन्द्रियस्त्रीविषयं सूत्रमाह- गब्भवतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिएतेसि णं मंते ! संमुच्छिमपंचिदियतिरिक्खजोणि-याणं णीण य कण्हलेस्साणं० जाव सुक्कलेस्साण य कयरे कयरेहितो गब्भवक्कंतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियक-हलेस्साणं० जाव अप्पा वाov? गोयमा ! सव्वत्थोवा गन्मवक्कं तियतिरिक्खसुक्कलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा०४? गोयमा ! जोणिया सुक्कलेस्सा, सुकलेस्साउ त्ति संखिज्जगुणाओ, सव्वत्थोवा गम्भवक्कं तियपं-चिंदियतिरिक्खजोणिया पम्हलेस्साओ संखिजगुणाओ, तेउलेस्साओ गम्भत्ति सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा, संखिजगुणा, तेउलेस्सा संखिजगुणा, संखेज्जगुणा, तेउलेस्साउत्ति संखेज्जगुणा, काउलेस्साउत्ति संखेजगुणा, नीललेस्सा विसे साहिया, कण्हले स्सा काउलेस्सा संखेजगुणा, नीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया, काउलेस्सा संमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्ख-जोणिया विसेसाहिया, काउलेस्साओ संखेज्जगुणाओ, नीललेस्साओ विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ, काउअसंखेज्जगुणा, नीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसे लेस्साओसंमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणिया असंखिजगुणा, साहिया। एतेसिणं भंते ! संमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणि नीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया॥८॥ याणं तिरिक्खजोणिणी य कण्हलेस्साणं० जाव सुक्कलेस्साण एएसिणं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खय कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा०४ ? गोयमा ! जहेव पंचमं तहा इमं पिछटुं भाणियव्वं // 6 // जोणिणीण य कण्हलेस्साणं० जाव सुक्कलेस्साण य कयरे कायरे हिंतो अप्पा वा०४ ? गोयमा ! सव्वत्थो वा एतच प्राग्वद्भावनीयम्। इदं किल पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाधिकारे षष्ठं पंचिंदियतिरिक्खजोणिया सुक्कलेस्सा, सुक्कलेस्साओ सूत्रम्, अनन्तरोक्तं च पञ्चमम्। अत उक्तम्- (जहेव पंचम, तहाइमं छटुं संखिजगुणाओ, पम्हलेस्सा संखिजगुणा, पम्हलेस्साओ भाणियव्वं) संखिज्जगुणाओ, तेउलेस्सा संखेज्जगुणा, तेउलेस्साओ अधुना गर्भव्युत्क्रान्तिकतिर्यक्पश्चेन्द्रियतिर्यस्त्रीविषयं संखिजगुणाओ, काउलेस्सा संखेजगुणा, नीललेस्सा सप्तमं सूत्रमाह विसे साहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया, काउलेस्साओ एतेसि णं भंते ! गब्भवतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं संखेज्जगुणाओ, नीललेस्साओ विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ तिरिक्खजोणिणीण य कण्हलेस्साणं० जाव सुक्कलेस्साण य विसेसाहियाओ||l कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा०४? गोयमा ! सम्वत्थोदा एतेसि णं भंते ! तिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणि-णीण य गब्भवक्कं तियपंचिं दियतिरिक्खजोणिया सुक्कलेस्सा, कण्हलेस्साणं० जाव सुक्कलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा सुक्कलेस्साओ तिरिक्खजोणिणीओ संखेज्जगुणाओ, पम्हलेस्सा वा०४ ? गोयमा ! जहेव णवमं अप्पाबहुगं, तहा इमं पि, नवरं गन्भवतियपंचिंदितिरिक्खजोणिया संखेज्जगुणा, पम्हले- काउलेस्सा तिरिक्खजोणिया अणंतगुणा / एवं एते दस स्साओ तिरिक्खजोणिणीओ संखेनगुणाओ, तेउलेस्सा अप्पाबहुगा तिरिक्खजोणियाणं // 10 // एवं मणुस्साण वि संखेजगुणा, तेउलेस्साओ संखिजगुणाओ, काउलेस्सा अप्पाबहुगा भाणियव्वा; नवरं पच्छिमगं अप्पाबहुगं णत्थि।