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________________ वेद के भाष्यकार] ( ५२८ ) [वेद के भाष्यकार अर्वाचीन ही कि उनकी साहित्यिक संगति निपट आधुनिक प्रतीत होने लगे-अवैदिक ही प्रतीत होने लगे । प्राचीन भारतीय साहित्य-भाग १, खण्ड १ पृ० २१६-३७।। ऋग्वेद के काल-निर्णय के सम्बन्ध में ये ही प्रधान विचार हैं । इन खोजों के आधार पर पाश्चात्य विद्वान् भी इसे अब उतना अर्वाचीन सिद्ध नहीं करते और उनके विचार से भी वेदों का निर्माणकाल ईसा से २५०० वर्ष पूर्व निश्चित होता है। कतिपय भारतीय विद्वानों ने इधर कई दृष्टियों से बेद की रचना-तिथि पर विचार किया है, किन्तु उनके मत को पूर्ण मान्यता नहीं प्राप्त हो सकी। १. प्रो० लाटूसिंह गौतम-४० लाख बीस हजार वर्ष पूर्व (आज से ) २. श्री अमलनेकर-ई० पू० ४५०० वर्ष। ३. श्रीरघुनन्दन शर्मा-८८००० वर्ष ई०पू० । ४. पावगी-८००० वर्ष पूर्व ( आज से ) ५. वैद्य-३१००. वर्ष ई० पू०। ६. पाण्डर भण्डारकर-३००० ई० पू०। ७. जयचन्द्रविद्यालर-३००० ई० पू०। ग्रन्थ-सूची ( जिनमें वैदिक काल-निर्णय पर विचार किया गया है ) १. वेबरहिस्ट्री बॉफ इण्डियन लिटरेचर । २. ह्विटनी-ओरियन्टल एण्ड लिंग्विस्टिक स्टडिज, फस्ट सीरीज । ३. श्रेडर-इण्डियन लिटरेचर एण्ड कल्पर । ४. लुडविश-उबेर डे इरवाहनंग सोन्मेन फिन्टटरनिस्सेन इन ऋग्वेद ( जर्मन )। ५. मैक्समूलर-हिस्ट्री अॉफ एन्सियन्ट संस्कृत लिटरेचर.। ६. अविनाशचन्द्र दास-ऋग्वेदिक इण्डिया। ७. वैद्य-हिस्ट्री बॉफ वैदिक लिटरेचर भाग १। ८. लुई रेनो-ऋग्वेदिक इगिया । ९. भारतीय विद्याभवन माला-सं. श्री के. एम. मुन्शी-वेदिक एज। १०. लोकमान्य विलक-ओरायन । ११. विन्टरनित्स-प्राचीन भारतीय साहित्य भाग १, खण्ड १ ( हिन्दी अनुवाद)। १२. शंकर बालकृष्ण दीक्षित-भारतीय ज्योतिष ( हिन्दी अनुवाद)। १३. पं० बलदेव उपाध्याय-वैदिक साहित्य और संस्कृति । १४. ५० भगवद्दत्त-वैदिक वाङ्मय का इतिहास भाग १। १५. डॉ. राधाकृष्णन्-भारतीय दर्शन भाग १ (हिन्दी अनुवाद)। १६. पं० रामगोविन्द त्रिवेदी-वैदिक साहित्य ।' १७. श्रीअरविन्द-वेद रहस्य ( हिन्दी अनुवाद)। १८. पं० रघुनन्दन शर्मा-वैदिक सम्पत्ति। वेद के भाष्यकार-प्रत्येक वेद के बनेक भाष्यकर्ता हुए हैं। उनका यहाँ परिचय दिया जा रहा है। १. स्कन्दस्वामी-इन्होंने ऋग्वेद पर भाष्य लिखा है। इनका काल सं० ६८२ (६२५ ई० ) है। इन्होंने निरुक्त पर भी टीका लिखी थी। इनका ऋग्भाष्य अत्यन्त विस्तृत है जिसमें प्रत्येक सूक्त के देवता एवं ऋषि का भी उल्लेख है तथा अपने कथन की पुष्टि के लिए अनुक्रमणी ग्रन्थों, निघण्टु तथा निरक आदि के उद्धरण दिए गए हैं। इसमें व्याकरण-सम्बन्धी तथ्यों का संक्षिप्त विवेचन किया गया है। यह भाष्य केवल चौथे अष्टक तक ही प्राप्त होता है । इसका प्रकाशन अनन्त शयन ग्रन्थावली से हो चुका है। २. नारायण-वेंकट माधव के ऋग्वेद भाष्य के एक श्लोक से पता चलता है कि स्कन्द स्वामी, नारायण एवं उद्गीथ ने क्रमक सम्मिलित रूप से एक ही ऋग्भाष्य लिखा है। इनका आनुमानिक संवत् ७वीं शताब्दी है। स्कन्दस्वामी नारायण उद्गीथ इति ते क्रमात् । चक्र: महकमृग्भाष्यं पदवाक्याई
SR No.016140
Book TitleSanskrit Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajvansh Sahay
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year2002
Total Pages728
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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