SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 130
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कालिदास] ( ११९ ) [कालिदास इन्द्र संवाद, कौत्स-रघु संवाद, कुश-अयोध्या संवाद तथा पार्वती-ब्रह्मचारी संवाद उत्कृष्ट संवादकला का निदर्शन करते हैं। कालिदास उदात्त प्रेमिल भावों के कधि हैं। इनकी प्रेम-भावना में क्रमिक विकास के सोपान दिखाई पड़ते हैं। 'ऋतुसंहार' इनकी प्रथम काव्य कृति है, अतः उसमें तरुण-तरुणियों के उद्दाम प्रेम का चित्रण किया गया है। पर 'शकुन्तला', 'मेघदूत', 'रघुवंश' एवं 'कुमारसम्भव' में कवि ने ऐसे प्रेम का चित्रण किया है जो वासना एवं बाह्यरूपासक्ति से रहित होकर कठोर साधना पर आधृत है। कालिदास ने वियोग की भट्ठी में वासना के कलुष को भस्मीभूत कर उसके दिव्य एवं पावन रूप का वर्णन किया है। इनका प्रेम-वर्णन मर्यादित एवं स्वस्थ पारिवारिक स्नेह का रूप उपस्थित करता है। भारतीय संस्कृति के प्रति अटूट अनुराग होने के कारण कवि ऐसे प्रेम का वर्णन नहीं करता जो लोकधर्म के साथ सामंजस्य स्थापित न करे। वह पति-पत्नी के वैवाहिक उदात्त प्रेम को अपने काव्य का आदर्श मानकर उसमें सदाचार एवं लोकरंजन का समावेश करता है । कवि अमर्यादित एवं उच्छृङ्खल अस्वाभाविक प्रेम को गहित मानकर उसके प्रति ध्यान भी नहीं देता। कवि ने अपने ग्रन्थों में स्थान-स्थान पर समस्त भारतीय विद्या के प्रौढ़ अनुशीलन का परिचय दिया है। कालिदास की राजनैतिक तथा दार्शनिक मान्यताएं ठोस आधार पर अधिष्ठित हैं तथा इनकी निजी सामाजिक स्थापनाएं भी हैं। कतिपय विद्वानों ने इन तथ्यों का उद्घाटन कर कालिदास की सांस्कृतिक एवं सामाजिक चेतना का व्याख्यान किया है। इन्होंने जीवन के शाश्वत एवं सार्वभौमिक तत्वों का रसात्मक चित्र प्रस्तुत कर सच्चे अर्थ में विश्व कवि की उपाधि प्राप्त की है। इनके काव्यात्मक भाव एवं काव्यात्मक बैली, उपयुक्त पद योजना, मूतिविधान की असाधारण क्षमता, शब्दगत संगीत एवं मधुर तथा रसपेशल भाषा इन्हें संस्कृत का सर्वश्रेष्ठ कवि सिद्ध करने में सर्वथा उपयुक्त हैं। आधारग्रन्थ ---- १. ए हिस्ट्री ऑफ संस्कृत लिटरेचर-मैकडोनल । २. ए हिस्ट्री ऑफ इण्डियन लिटरेचर-विण्टरनित्स (भाग ३)। ३. ए हिस्ट्री ऑफ संस्कृत लिटरेचरकीथ । ४. क्लासिकल संस्कृत लिटरेचर-कीथ । ५. हिस्ट्री ऑफ संस्कृत लिटरेवरदासगुप्त एवं डे। ६. हिस्ट्री ऑफ क्लासिकल संस्कृत लिटरेचर-कृष्णमाचारियार । ७. कालिदास-भाग १.२-के० एस० रामस्वामी शास्त्री। ८. कालिदास-दि नेशनल पोयट ऑफ इण्डिया-डॉ० एस० एस० भावे । ९. कालिदास-दि ह्यमन मीनिंग ऑफ हिज वसं-वाल्टररुवेन । १०. कालिदास-अरविन्द । ११. कालिदास-सेकण्ड सिरिज-अरविन्द । १२. दि डेट ऑफ कालिदास-चट्टोपाध्याय । १३. दि बर्थ प्लेस ऑफ कालिदास-लक्ष्मीधर कलां। १४. संस्कृत ड्रामा एण्ड ड्रामाटिस्ट-के० पी० कुलकर्णी । १५. कालिदास-जे० सी० झाला । १६. संस्कृत ड्रामा-प्रो० जागीरदार । १७. संस्कृत ड्रामा-इंदुशेखर । हिन्दी-१. संस्कृत साहित्य का इतिहास-( हिन्दी अनुवाद ) कीथ । २. संस्कृत नाटक-( हिन्दी अनुनाद ) कीथ । ३. संस्कृत साहित्य का इतिहास-4 बलदेव उपाध्याय । ४. संस्कृत सूकवि-समीक्षा-पं० बलदेव उपाध्याय
SR No.016140
Book TitleSanskrit Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajvansh Sahay
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year2002
Total Pages728
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy