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________________ स्वाति (आचार्य) तीर्थंकर महावीर की धर्म परम्परा के एक प्रभावक वाचनाचार्य। वाचनाचार्य बलिस्सह के बाद उनका कार्यकाल माना जाता है। उनका जन्म हारित गोत्रीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। मुनि जीवन में प्रवेश कर उन्होंने आगमों का गहन गंभीर अध्ययन संपादित किया। परिणामतः उनकी नियुक्ति वाचनाचार्य पद पर हुई। कई वर्षों तक इस पद पर रहकर उन्होंने संघ और समाज में ज्ञान-प्रवाह को प्रवाहित किया। तत्वार्थ सूत्रकार आर्य उमास्वाती से वाचनाचार्य स्वाति भिन्न हैं। -नन्दी चूर्णि स्वातिदत्त एक ब्राह्मण । महावीर स्वामी ने उसकी यज्ञशाला में साधना काल का बारहवां वर्षावास व्यतीत किया था। महावीर की साधना से प्रभावित बनकर पूर्णभद्र और मणिभद्र नामक दो यक्ष भगवान के उपासक बन गए। देववन्दित जानकर स्वातिदत्त भी भगवान के प्रति श्रद्धाशील बना। एक बार उसने भगवान से जीव-आत्मा संबंधित कई प्रश्न पूछे। समाधान पाकर वह प्रभु का अनन्य उपासक बन गया। . . . ... जैन चरित्र कोश ... -- 709 ...
SR No.016130
Book TitleJain Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Amitmuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2006
Total Pages768
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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