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________________ सेठ ने अपनी पुत्री का नाम तिलकमती रखा था पर शरीर से सुगन्ध निकलने के कारण वह सुगन्धा कहलाई। उसके शरीर की सुगन्ध एक योजन तक जाती थी इसलिए उसका एक अपरनाम योजनगंधा भी प्रसिद्ध हुआ। सुगन्धा के जन्म के कुछ काल पश्चात् ही उसकी माता का देहान्त हो गया। सेठ ने दूसरा विवाह कर लिया। नई सेठानी बन्धुमती ने भी कालक्रम से एक पुत्री को जन्म दिया जिसका नाम तेजमती रखा गया। विमाता बन्धुमती ने सुगन्धा से सौतेला व्यवहार किया और सदैव उसे कष्ट देती रही। परन्तु भाग्य को कौन मिटा सकता है। बन्धुमती की पुत्री का विवाह एक साधारण श्रेष्ठी के पुत्र के साथ हुआ और सुगन्धा का पाणिग्रहण नगर नरेश कनकप्रभ से हुआ। ___ एक बार कनकपुर नगर में चार ज्ञान के धनी एक मुनि पधारे। राजा ने मुनि से पूछा, महाराज! मेरी रानी ने ऐसे कौन से शुभ पुण्य किए हैं, जिससे उसके शरीर से सुगन्ध झरती है? मुनि ने फरमाया, तुम्हारी रानी ने पूर्वजन्म में सुगन्धदशमी व्रत की आराधना की थी जिसके पुण्यफल स्वरूप उसके शरीर से सुगन्ध झरती है। साथ ही मुनि ने सुगन्धा के अतीत के कई भव भी सुनाए। उसने अतीत के कई जन्मों में विचित्र आरोह-अवरोह-पुण्यफल और पापफल भोगे थे। ___अपने पूर्वभव की कथा सुनकर सुगन्धा की धर्म रुचि अत्यन्त प्रखर बन गई। उसने श्रावक-धर्म अंगीकार किया। पूर्ण निष्ठाभाव से श्रावक-धर्म का पालन करते हुए उसने सुमरण प्राप्त किया और स्त्री वेद का छेद कर वह ईशान स्वर्ग में देवता बनी। देवलोक से च्यव कर सुगन्धा का जीव मनुष्य भव धारण करेगा और मोक्ष में जाएगा। -सुगन्धदशमी कथा (ख) सुगंधा ___एक राजकुमारी जिसका पाणिग्रहण राजकुमार चन्द्रबाहु (विहरमान तीर्थंकर) से हुआ था। (देखिए-चन्द्रबाहु स्वामी) (क) सुग्रीव ___ किष्किन्धाधिपति वानरराज और श्री राम का सखा। जब उसे श्रीराम के दर्शन हुए तो वह अतिकष्टमय समय काट रहा था। साहसगति नाम का विद्याधर उसका रूप धरकर उसकी रानी और राज्य का स्वामी बन बैठा था। तब श्री राम ने उसकी सहायता की और साहसगति को दण्डित कर सुग्रीव को उसकी रानी और राज्य लौटाए। बाद में सग्रीव ने भी अपना सखा धर्म निभाते हुए श्री राम की सहायता की। पहले उसने अपने मित्र हनुमान और अपनी सेना चतुर्दिक् में फैलाकर सीता की खोज कराई और बाद में श्री राम के साथ लंका जाकर रावण से लोहा लिया। जैन, वैदिक और इतर रामचरितों में सुग्रीव का चरित्र पूरे भाव से चित्रित हुआ है। (दखिए-तारा) -त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र, पर्व 7 (ख) सुग्रीव (राजा) काकन्दी नरेश और भगवान सुविधिनाथ के पिता। (ग) सुग्रीव (राजा) तृतीय विहरमान तीर्थंकर श्री बाहुस्वामी के जनक। (दखिए-बाहुस्वामी) सुघोषा (आया) ___ इनका समग्र परिचय कमला आर्या के समान है। (दखिए-कमला आया) -ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र, द्वि.श्रु., वर्ग 5, अ. 29 ...6520 - जैन चरित्र कोश...
SR No.016130
Book TitleJain Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Amitmuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2006
Total Pages768
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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