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________________ लेना चाहता हूं। मैं ऐसा मरण चाहता हूं कि पुनः-पुनः न मरना पड़े। अन्ततः सखा जी ने अपने संकल्प पर कलशारोहण भी किया। कई वर्षों तक शुद्ध संयम की आराधना के पश्चात् एक मास के संथारे के साथ उन्होंने पण्डित मरण का वरण किया। सगर (चक्रवर्ती) ___ सगर दूसरे चक्रवर्ती थे। वे भगवान अजितनाथ के चचेरे भाई थे। उनके जनक का नाम सुमित्र और जननी का नाम यशोमती था। अजितनाथ अपना राजपाट सगर को सौंपकर मुनि बन गए तो सगर ने अपने राज्य की सीमाएं समुद्र पार तक विस्तारित की और वे चक्रवर्ती सम्राट् कहलाए। जैन और जैनेतर पुराणों के अनुसार सगर चक्रवर्ती के साठ हजार पुत्र थे। उनके ज्येष्ठ पुत्र का नाम जन्हुकुमार था। किसी समय जन्हुकुमार के नेतृत्व में साठ हजार चक्रवर्ती-पुत्र विश्वदर्शन को चले। वे अष्टापद पर्वत पर पहुंचे तो पर्वत के सौन्दर्य ने उनका मन मोह लिया। पर्वत के सौन्दर्य को सुरक्षित रखने के विचार से उन्होंने उसके चारों ओर गहरी खाई खोद कर उसमें गंगा नदी का प्रवाह मोड़ दिया। इससे नागकुमार देवों के भवनों में पानी भर गया। इससे देवता रोषारुण बन गए। उन्होंने जन्हुकुमार सहित साठ हजार चक्रवर्ती पुत्रों को स्वाहा कर दिया। ____ चक्रवर्ती सगर के लिए यह समाचार अकल्पित पीड़ादायक था। परन्तु सगर ने अपने धैर्य को डावांडोल नहीं बनने दिया। सकारात्मक चिन्तन ने उनके भीतर वैराग्य के द्वार उद्घाटित कर दिए। वे भगवान अजितनाथ के चरणों में पहुचकर प्रव्रजित हो गए। उत्कृष्ट संयम साधना से केवलज्ञान अर्जित करके उन्होंने मोक्ष प्राप्त किया। -त्रिषष्टि शलाकापुरुष चरित्र / उत्तराध्ययनसूत्र, अध्ययन 18 (क) सज्जन श्रीबाल नगर का एक दुष्ट युवक। (देखिए-ललितांग कुमार) (ख) सज्जन कुमार वीरपुर नगर के राजा चन्द्रशेखर का पुत्र । (देखिए-मृगासुन्दरी) सती (आर्या) ___ आर्या सती का समग्र जीवन वृत्त काली आर्या के समान है। विशेष इतना है कि इनका जन्म हस्तिनापुर नगर में हुआ था और मृत्यु के पश्चात् ये शक्रेन्द्र महाराज की पट्टमहिषी के रूप में जन्मी । (देखिए-काली आया) -ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र, द्वि.श्रु, वर्ग 9, अ. 3 सतेरा (आर्या) सतेरा आर्या का समग्र जीवन वृत्त इला आर्या के समान है। (देखिए-इला आया) -ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र, द्वि.श्रु., तृ.वर्ग, अध्ययन ? सत्यकी (राजा) विहरमान तीर्थंकर प्रभु सीमंधर स्वामी के जनक। (देखिए-सीमंधर स्वामी) सत्यनेमि ___ महाराज समुद्रविजय और शिवादेवी के पुत्र तथा बाईसवें तीर्थंकर अरिहंत अरिष्टनेमि के अनुज । (शेष परिचय जालिवत्) -अन्तगड सूत्र वर्ग 4 अध्ययन 9 .... जैन चरित्र कोश ... - 617 ...
SR No.016130
Book TitleJain Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Amitmuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2006
Total Pages768
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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