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________________ महेश्वरदत्त के कानों में महात्मा के ये शब्द पड़े। शुभ मुहूर्त का उदय हुआ। महेश्वरदत्त ने महात्मा के चरणों का स्पर्श किया और कहा, महात्मन्! आपके मुख से जो शब्द प्रगट हुए हैं वे किसी रहस्य की ओर इंगित कर रहे हैं। मुझ पर कृपा करें और आपके शब्दों के पीछे रहे हुए रहस्य का अनावरण करें। ____महेश्वरदत्त की आंखों में तैरती सच्ची जिज्ञासा को देखकर और उसके भविष्य को संवारने की दृष्टि से महात्मा ने रहस्य प्रगट करते हुए कहा, युवक! जिस पाडे का वध करके तुमने अपने पिता का श्राद्ध किया है वह पाडा ही पूर्वजन्म में तुम्हारा पिता था। दण्डप्रहार से जिस कुतिया को तुमने मार डाला वह पूर्वजन्म में तुम्हारी माता थी और जिस पुत्र को देखकर तुम फूले नहीं समा रहे हो यह पूर्व जन्म में तुम्हारी पली का प्रेमी था जो तुम्हारे ही हाथों मृत्यु को प्राप्त हुआ था। महात्मा द्वारा व्याख्यायित रहस्य सुनकर कर्मगति की विचित्रता का सम्यग्ज्ञान महेश्वरदत्त को प्राप्त हो गया। वह प्रबुद्ध हो गया और समस्त बन्धनों का उसी क्षण छेदन कर प्रव्रजित हो गया। साधना से उसने अपने जीवन को विमल और निर्मल बनाया। (ग) महेश्वरदत्त वेद-वेदांगों का ज्ञाता तथा हिंसक यज्ञों का याज्ञिक सर्वभद्र नगर में रहने वाला एक ब्राह्मण। (दखिए-बृहस्पतिदत्त) माकंदी गाथापति __ (देखिए-जिनपाल) मागधिका गणिका चम्पानगरी की एक चतुर गणिका। उसने कपट-श्राविका का स्वांग धार कर कूलबालुक मुनि को संयमच्युत किया था। आखिर कूलबालुक ही कोणिक-चेटक संग्राम में वैशाली के विध्वंश का कारण बना था। (देखिए-कूलबालुक मुनि) माणिक्यनन्दी (आचार्य) ___ दिगम्बर जैन परम्परा के एक विद्वान जैन आचार्य। संस्कृत, प्राकृत आदि भाषाओं के वे उद्भट विद्वान थे। न्याय, दर्शन, व्याकरण, आगम आदि विषयों के वे तलस्पर्शी अध्येता थे। आचार्य माणिक्यनन्दी का राजा भोज (धारा नरेश) की सभा में विशेष मान था। वे न्याय शास्त्र के विख्यात अध्येता थे। कई छात्र न्याय शास्त्र का उनके सान्निध्य में अध्ययन कर विश्रुत विद्वान बने थे। आचार्य माणिक्य नन्दीसंघ के विश्रुत आचार्य थे। उनके गुरु का नाम गणीरामनन्दी था। उनके शिष्य नयनन्दी भी एक ख्यातिप्राप्त जैन आचार्य हुए हैं। ‘परीक्षामुख' नामक उत्कृष्ट ग्रन्थ उनकी रचना है। आचार्य माणिक्यनन्दी का कालमान वी.नि. की 15वीं-16वीं शती माना जाता है। -सुदंसण चरिउ मातंग राजगृह नगरी में रहने वाला एक निम्न जाति का व्यक्ति जिसे वृक्ष की डालियों को झुकाने की विद्या ज्ञात थी। एक बार उसकी पत्नी गर्भवती थी तो उसे आम खाने का दोहद उत्पन्न हुआ। परन्तु वह आमों का मौसम न था। उसने अपना दोहद मातंग से कहा। मातंग ने पत्नी को आम लाने का आश्वासन दे दिया। ___महाराज श्रेणिक के बाग में सभी ऋतुओं में फलने वाले आम्रवृक्ष थे। रात्रि में मातंग बाग की दीवार ...जैन चरित्र कोश... --439 ...
SR No.016130
Book TitleJain Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Amitmuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2006
Total Pages768
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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