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________________ गौतम स्वामी ने पुनः प्रश्न किया-भगवन्! महाबल का भविष्य कैसा है? कृपा उस पर भी प्रकाश डालिए! भगवान ने फरमाया, गौतम! कुछ वर्षों तक श्रावक धर्म की आराधना करने के पश्चात् महाबल प्रव्रजित हो जाएगा और इसी भव में मोक्ष में जाएगा। ___ महाबल कुमार के गौरवमयी अतीत और अनागत को सुनकर श्रमण-श्रमणी वृन्द समाहित चित्त हो गया। अन्य किसी समय में श्रमण भगवान महावीर शिष्य समुदाय के साथ अन्यत्र विहार कर गए। एक बार युवराज महाबल कुमार पौषधशाला में पौषध की आराधना कर रहा था। आध्यात्मिक चिन्तन में तल्लीन महाबल के स्मृति पट पर भगवान महावीर का चित्र उभर आया। महाबल रोमांचित हो उठा। उसकी चिन्तन धारा बह चली-धन्य हैं वे जनपद और कानन जहां पर अरिहंत प्रभु महावीर के चरणों की रज गिरती है। धन्य हैं वे लोग जो प्रभु के दर्शन कर अपने नेत्रों और हृदयों को पवित्र करते हैं। कितना शुभ होगा वह क्षण जब मेरे आराध्य अरिहंत देव श्री महावीर स्वामी मेरे नगर में पधारेंगे। उनके दर्शन कर मैं धन्य हो जाऊंगा। सर्वज्ञ महावीर महाबल के हृदय के भावों को देख रहे थे। विहरणशील महावीर के चरण महापुर की दिशा में गतिमान बन गए। महावीर के पदार्पण का सुसंवाद महाबल कुमार ने सुना तो उसके हर्ष का ठिकाना न रहा। वह प्रभु के चरणों में पहुंचा। प्रभु के प्रवचन-पावस का उसने आतृप्त पान किया। परिणामतः वैराग्य का प्रबल आवेग उसके हृदय में उमड़ आया। माता-पिता-परिजनों की अनुमति प्राप्त कर महाबल प्रव्रजित हो गया। चारित्र धर्म की उत्कृष्ट आराधना द्वारा समस्त कर्मराशि को भस्मीभूत करके महाबल मुनि सिद्ध-बुद्ध-मुक्त हो गए। _ -विपाक सूत्र, द्वितीय श्रुत. अ. 6 (घ) महाबल (कुलपुत्र) ___ श्रीपुर नगर का रहने वाला एक कुलीन युवक। बाल्यावस्था में ही उसके माता-पिता का देहान्त हो - जाने के कारण वह कुसंगति मे पड़ गया और चोर बन गया। एक बार वह चोरी करने के लिए राजा मानमर्दन के महल में गया। उसने हीरे जवाहरात पोटली में बांधे और चलने को तैयार हुआ। इतने में उसने देखा कि वहां एक सर्प आया और उसने रानी को डस लिया। दबे पांव से महाबल ने सर्प का पीछा किया। द्वार पर पहुंचते ही सर्प ने बैल का रूप बनाया। द्वारपाल ने बैल को भगाने की चेष्टा की तो बैल ने उसके पेट में सींग से प्रहार कर उसे मार डाला। महाबल ने बैल की पूंछ पकड़ ली। बैल ने मनुष्य की वाणी में उससे अपनी पूंछ छोड़ने के लिए कहा। महाबल ने उससे उसका परिचय पूछा और जानना चाहा कि उसने रानी और द्वारपाल को किस लिए मार डाला। बैल ने देवरूप में प्रगट होकर कहा, मैं नागकुमार देव हूँ और रानी और द्वारपाल मेरे पूर्वजन्म के शत्रु हैं। इसीलिए उनको मैंने मार दिया है। ___ महाबल ने अपनी मृत्यु के बारे में पूछा तो देव ने कहा, राजमार्ग पर खड़े अमुक वटवृक्ष से लटकने से तेरी मृत्यु होगी। ____ अपनी मृत्यु के कारण वटवृक्ष को देखकर महाबल भयभीत बन गया। वह जंगल में जाकर एक तापस का शिष्य बन गया और तप करने लगा। तापस की मृत्यु के बाद वह आश्रम का स्वामी बन गया। .. जैन चरित्र कोश ... 4431 ...
SR No.016130
Book TitleJain Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Amitmuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2006
Total Pages768
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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