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________________ अवधि में उसने अपनी शक्ति बढ़ाई और उचित समय पर दीर्घ पर आक्रमण कर उसे मार डाला और अपना राज्य प्राप्त किया। आगे चलकर ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती बना। दीर्घ से प्राण रक्षा हेतु देश-देशान्तरों में भटकते हुए ब्रह्मदत्त ने नौ कुमारियों से विवाह किए। कुमारियों- राजकुमारियों के नाम थे-बंधुमती, पुष्पवती, श्रीकान्ता, खण्डा, विशाखा, रत्नावती, पुण्यमानी, श्रीमती एवं कटकवती । (देखिए - ब्रह्मदत्त) ब्राह्मी भगवान ऋषभदेव तथा उनकी रानी सुमंगला से उत्पन्न पुत्री । प्रथम चक्रवर्ती भरत की सहोदर । ब्राह्मी अपने पिता भगवान ऋषभदेव से अठारह लिपियां सीखकर उनका प्रचार और प्रसार जगत में किया। आज भी हमारी लिपि ब्राह्मी लिपि कहलाती है । ( शेष वृत्त - सुंदरीवत् ) *** जैन चरित्र कोश ++ +375
SR No.016130
Book TitleJain Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Amitmuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2006
Total Pages768
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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