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________________ जैन जगत के क्षितिज पर आप एक महान यशस्वी, वर्चस्वी और तेजस्वी मुनिराज के रूप में उभरे। जनसमूह पर आपका अद्भुत प्रभाव पड़ता था। आप जहां भी विचरे, जैन-अजैन वर्ग पर आपने अमिट छाप छोड़ी। मध्यप्रदेश में जंगली भीलों के कुटीरों से लेकर राजाओं के राजप्रासादों तक आपका अखण्ड प्रभाव था। आपकी वाणी में जादू था जो आबालवृद्ध को बांध लेती थी। ___ आपने सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन में विशेष श्रम किया। बलिप्रथा और मृतकभोज बन्द करवाए। सहस्रों लोगों को कुव्यसनों से मुक्ति दिलाकर उनके जीवन का रूपान्तरण किया। चित्तौड़ में आपकी प्रेरणा से वृद्धाश्रम की स्थापना भी हुई। शिक्षा और सेवा के क्षेत्र में आपकी प्रेरणा से कई संस्थाओं का निर्माण हुआ। आप एक सहृदय कवि और लेखक भी थे। स्तुतिपरक और उपदेश-प्रधान आपकी कविताएं / गीतिकाएं माधुर्य और भक्ति रस से भरी हुई हैं। ___'जैन दिवाकर' के उपनाम से अर्चित, वन्दित, चर्चित उस दिव्य पुरुष का जैन-जैनेतर जगत पर महान् उपकार है, जो सदैव वन्दनीय रहेगा। ... जैन चरित्र कोश ... -- 183 ....
SR No.016130
Book TitleJain Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Amitmuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2006
Total Pages768
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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