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________________ जाता है। ब्राह्मण नहीं चाहता था कि उसके पुत्र को नरक में जाना पड़े। उसने ललाट-रेखा को मिटाने के लिए पुत्र के दांतों को घिसा दिया। वैसा करके उसने पुनः आचार्य से पुत्र का भविष्य पूछा तो आचार्य श्री ने कहा, अब यह राजा तो नहीं बनेगा, पर देश का भाग्य विधाता अवश्य बनेगा। राजा भी इसकी आज्ञा मानेगा। कालक्रम से चाणक्य युवा हुआ। शिक्षा-दीक्षा पूर्ण होने पर एक ब्राह्मण कन्या से उसका विवाह हुआ। . पर चाणक्य की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय थी। उसी कारण पीहर में विवाह के प्रसंग पर उसकी पत्नी को तिरस्कृत होना पड़ा। इस से दुखित होकर चाणक्य नन्द राजा के पास दान पाने की आशा में गया। पर संयोग से राजा ने उसे अपमानित कर बिना कुछ दिए ही भगा दिया। राजा के तिरस्कार ने चाणक्य में प्रतिशोध की आग जला दी। उसने नन्द साम्राज्य के विनाश का संकल्प कर लिया। दर-बदर भटकते हुए चाणक्य मोरपोषक गांव में गया। वहां ग्राम के अधिपति की पुत्री को गर्भावस्था में चंद्रपान का दोहद उत्पन्न हुआ था। परन्तु दोहद पूर्ण न हो पाने से वह महिला दुर्बल हो गई थी। ग्राम-अधिपति से इस शर्त पर चाणक्य ने दोहद पूर्ति कराई कि उसकी पुत्री से उत्पन्न संतान पर उसका अधिकार होगा। कालक्रम से ग्राम-अधिपति की पुत्री पुत्रवती बनी। पुत्र का नाम चंद्रगुप्त रखा गया। चंद्रगुप्त में बचपन से ही राजा के गुण प्रकट होने लगे थे। वह बालकों को एकत्रित कर लेता और उनका राजा बनकर न्याय करता। उधर चाणक्य पुनः उस गांव में आया और चंद्रगुप्त को अपने साथ ले गया। उसने चंद्रगुप्त को शिक्षित-दीक्षित किया। चंद्रगुप्त युवा हो गया। युवा चंद्रगुप्त के साथ मिलकर चाणक्य ने एक छोटी-सी सेना तैयार की और पाटलिपुत्र पर आक्रमण कर दिया। नन्दराजा की विशाल वाहिनी के समक्ष चंद्रगुप्त की सेना के पैर शीघ्र ही उखड़ गए। चाणक्य और चंद्रगुप्त जान बचाकर भाग खड़े हुए। ___एक वृद्धा से चाणक्य को शिक्षा-सूत्र मिला कि सीधे राजधानी पर आक्रमण करने के स्थान पर पहले सीमान्त गांवों पर आक्रमण किया जाए। छोटे-छोटे ग्रामों को विजय करते हुए राजधानी पर विजय की जाए। उसी अवधि में हिमालय प्रदेशीय पर्वत नामक एक राजा से चाणक्य ने मैत्री स्थापित की। पर्वत की सहायता और चंद्रगुप्त के शौर्य के बल पर चाणक्य ने पाटलिपुत्र पर विजयी ध्वज फहरा दिया। नन्दराजा धर्मद्वार से अपने प्राणों की भीख मांगकर अन्यत्र चला गया। चाणक्य की नीतियों और दूरदर्शिता पूर्ण निर्देशन से चंद्रगुप्त ने पाटलिपुत्र को राजधानी बनाकर सम्पूर्ण भारतवर्ष पर शासन किया। चाणक्य की नीतियों के कारण ही चंद्रगुप्त के शासन काल में भारत 'सोने की चिड़िया' नाम से विश्व में विख्यात हुआ। ___भारतवर्ष के महामंत्री के गरिमामयी पद पर रहते हुए भी चाणक्य ने अत्यन्त सादगी का जीवन जीया। वह एक झोंपड़ी में रहता था और झोंपड़ी में जीवनोपयोगी अत्यन्त अल्प साधन मौजूद थे। चंद्रगुप्त के पश्चात् उसका पुत्र बिन्दुसार राजगद्दी पर बैठा। तब भी चाणक्य महामंत्री था। कुछ विद्वेषी लोगों ने बिन्दुसार के हृदय में चाणक्य के प्रति विभ्रम उत्पन्न कर दिया। बिन्दुसार की दृष्टि को पहचानकर चाणक्य विरक्त हो गया और उसने जंगल में जाकर आमरण अनशन कर लिया। बिन्दुसार को अपनी भूल का अनुभव हुआ और वह चाणक्य को लौटाने के लिए जंगल में गया पर चाणक्य ने लौटने से इन्कार कर दिया। अनशनपूर्वक देहोत्सर्ग कर चाणक्य महर्द्धिक देव बना। -उपदेश पद-गाथा 7, वृत्ति चामुण्डाराय ई. की 10वीं सदी का एक प्रतिभाशाली, शक्तिशाली और धर्मप्राण महामंत्री और सेनापति। चामुण्डाराय ..जैन चरित्र कोश ... - 175 ...
SR No.016130
Book TitleJain Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Amitmuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2006
Total Pages768
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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