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________________ अन्तिकाथै अन्धेश्यः । अन्तिकार्थ-II. III. 34 अन्त्यस्य-1.1.51 देखें-दूरान्तिकाई II. 1. 34 (षष्ठीनिर्दिष्ट आदेश) अन्त्य (अल्) के स्थान में होअन्ते - VIII. I. 29 ता है। (पद के) अन्त में (तथा झल परे रहते संयोग के आदि अन्त्यस्य-VI. 1. 16 के सकार तथा ककार का लोप होता है)। (आमेडित सञक जो अव्यक्तानुकरण का अत् शब्द, उसे इति परे रहते पररूप एकादेश नहीं होता, किन्तु) जो अन्ते -VIII. 1.39 (उस आमेडित का) अन्तिम (नकार), उसको (विकल्प से (पद के) अन्त में (झलों को जश् आदेश होता है)। पररूप एकादेश होता है,संहिता के विषय में)। ...अन्तेवासि... - VI. 1.69 अन्त्यात् -1.1.46 देखें-गोत्रान्तेवासिOVI. 169 (अचों में ) जो अन्तिम अच्, उससे (परे मिदागम होता अन्तेवासिनि-VI. 1. 104 (आचार्य है उपसर्जन जिसका,ऐसा) जो अन्तेवासी= अन्त्यात् -I.1.64 शिष्य, उसको कहने वाले शब्द के परे रहते (भी दिशा अन्तिम (अल्) से (पूर्व जो अल् उसकी उपधा संज्ञा .. अर्थ में प्रयुक्त होने वाले पूर्वपद शब्दों को अन्तोदात्त होती है)। होता है)। अन्यात्-VI. 1.83 ...अन्तवासिषु-VII. 129 (ज' उत्तरपद रहते बहुत अच् वाले पूर्वपद के) अन्तिम . देखें-दण्डमाणवान्तवासिव VAL 129 . अक्षर से (पूर्व को उदात्त होता है)। अन्तेवासी-VI. 1. 36 अन्त्यात् -VI. ii. 174 (आचार्य है अप्रधान जिसमें, ऐसे) शिष्यवाची शब्दों (नञ् तथा सु से उत्तर बहुव्रीहि समास में) अन्तिम से का (जो द्वन्द्व, उनके पूर्वपद को प्रकतिस्वर होता है। (पूर्व को उदात्त होता है)। अन्त्यादि-1.1.63 अन्तोदात्तात् -V.1.52 (अचों में) जो अन्तिम अच् , वह है आदि में जिस (बहुव्रीहि समास में भी जो क्तान्त) अन्तोदात्त प्रातिप समुदाय के, (उस समुदाय की टि संज्ञा होती है)। दिक,उससे (स्त्रीलिंग में डीप प्रत्यय होता है)। अन्त्ये न-1.1.70 अन्तोदात्तात् -N.L. 108 (आदि वर्ण) अन्तिम (इत्संज्ञक वर्ण) के साथ मिलकर (बहत अच् वाले उत्तर दिशा में स्थित ग्रामवाची) दोनों के मध्य में स्थित वर्गों का तथा अपने स्वरूप का अन्तोदात्त प्रातिपदिकों से (भी अब् प्रत्यय होता है)। भी ग्रहण कराता है)। अन्तोदात्तात् - IV. 1.67 ...अन्य.. -III. ii.56 (व्याख्यान और भव अर्थों में षष्ठी और सप्तमीसमर्थ देखें- आयसुभग III. ii. 56 बहुत अच् वाले) अन्तोदात्त (व्याख्यातव्य नाम) प्रातिप- ...अन्धक... - IV.I. 114 दिकों से (ठञ् प्रत्यय होता है)। देखें-ऋष्यन्धकवृष्णि IV. 1. 114 अन्तोदात्तात् - VI.1.163 अन्धक... - VI. ii. 34 (अनित्य समास में) अन्तोदात्त (एकाच उत्तरपद) से उत्तर __देखें- अन्धकवृष्णिषु VI. ii. 34 (तृतीयादि विभक्ति विकल्प से उदात्त होती है)। अन्यकवृष्णिषु-VI. ii. 34 ....अन्तौ -1.1.45 (क्षत्रियवाची जो बहुवचनान्त शब्द, उनका द्वन्द्व) यदि अन्धक तथा वृष्णि वंश को कहने में वर्तमान हो तो (पूर्वपद देखें- आद्यन्तौ I. 1. 45 अन्त्यम् -I. II.3 को प्रकृतिस्वर होता है)। (उपदेश में वर्तमान) अन्तिम (हल,इत्सजक होता है)। ...अन्येभ्यः -V.iv.78 देखें-अवसमन्येभ्यः V.iv.78
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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