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________________ सोपाययोः 527 सदर.. सज्ञौपम्ययोः -VI. ii. 113 सज्जा तथा उपमा विषय में (वर्तमान जो बहुव्रीहि.वहाँ भी उत्तरपद कर्ण शब्द को आधुदात्त होता है)। सझालो:-VI. iv. 42 (जन,सन,खन-इन अङ्गों को आकारादेश हो जाता है; झलादि) सन् तथा झलादि (कित्, ङित्) परे रहते।। ...सवर..-III. 1. 142 देखें- सम्पचानुरुप III. 1. 142 स्थण्डिलात्-IV.ii. 14 (सप्तमीसमर्थ) स्थण्डिल प्रातिपदिक से (सोने वाला अभिधेय हो तो व्रत गम्यमान होने पर यथाविहित प्रत्यय होता है)। सत्...-I.iv.72 . देखें-सदसती I. iv. 72 सत्...-II. 1.60 देखें-सन्महत्परमो० II. 1.60 ....सत्...-II. ii. 11 देखें- पूरणगुणसुहितार्थ II. ii. 11 सत्-III. ii. 127 (वे शतृ तथा शानच् प्रत्यय) सत् संज्ञक होते हैं। सत्-III. iii. 14 (भविष्यकाल में विहित जो लूट,उसके स्थान में) सत्संज्ञक शतृ और शानच् प्रत्यय (विकल्प से होते हैं)। सत्सूद्विषद्रुहदुहयुजविदमिदच्छिदजिनीराजाम्-III. II. अगद = नीरोग,स्वस्थ। सत्यात-v.inks सत्य प्रातिपदिक से (शपथ वाच्य न हो तो कब के योग में डाच प्रत्यय होता है)। सत्याप..-III. 1.25 देखें- सत्यापपाश III. 1. 25 सत्यापपाशरूपवीणातूलश्लोकसेनालोमत्वववर्मवर्णचूर्णचुरादिभ्यः -III.1.25 सत्याप,पाश,रूप,वीणा,तूल.श्लोक,सेना.लोम.त्वच, वर्म,वर्ण,चूर्ण इन शब्दों तथा चुरादि गण में पढ़ी धातुओं से (णिच् प्रत्यय होता है)। सद्.-III. 1. 61 देखें-सत्स० III. 1.61 ...सद...-III.1.24 देखें-लुपसदचर III. 1.24 सद...-III. 1. 108 देखें-सदवस III. II. 108 ...सद -III. 1. 159 देखें-दाबेट II. 1. 159 सदवसत्रुक-III. 1. 108 (लौकिक प्रयोग विषय में) सद,वस,श्रु-इन धातुओं से परे (भूतकाल में लिट् प्रत्यय होता है)। सदसती-I. iv. 62 सत और असत् शब्द (यदि यथासंख्य करके आदर तथा अनादर अर्थ में वर्तमान हों तो उनकी क्रियायोग में गति और निपात संज्ञा होती है)। ...सदाम् -VII. Mi.78 देखें-पानाध्या VII. lil. 78 सदिः -VIII. iii. 66 (प्रतिभिन्न उपसर्गस्थ निमित्त से उत्तर) षदल धातु के (सकार को मूर्धन्य आदेश होता है, अव्यवाय एवं अभ्यास के व्यवाय में भी)। ...सदृश..-II.1.30 देखें-पूर्वसदशसमोनार्थ II. 1. 30 61 . सद्, स, द्विष, दुह, दुह, युज, विद,भिद, छिद,जि, नी, राजू धातुओं से (सोपसर्ग हों तो भी तथा निरुपसर्ग हों तो भी सबन्त उपपद रहते क्विप प्रत्यय होता है)। सत्य..-VI.ili.69 देखें-सत्यागदस्य VI. 1.69 . . सत्यम्-VIII. 1. 32 सत्यम् शब्द से युक्त (तिङन्त को प्रश्न होने पर अनुदात्त नहीं होता। सत्यागदस्य-VI. 1.69 कार शब्द उत्तरपद रहते) सत्य तथा अगद शब्द को . (मुम् आगम हो जाता है)। सदश.. -VI.11.11 पद हत) सत्य तथा अगद शब्दको देखें-सदनजतिल्पयो VI.1.11
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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