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________________ सज्ञायाम् 525 सज्ञायाम् सज्ज्ञायाम् - IV. iv.89 सजायाम्-v.ii. 113 सज्ञाविषय में (धेनुष्या शब्द स्त्रीलिङ्ग में निपातन किया (दन्त तथा शिखा प्रातिपदिकों से 'मत्वर्थ' में) सज्जाजाता है)। विषय में वलच् प्रत्यय होता है)। धेनुष्या = दुग्धादि के द्वारा ऋण उतारने के लिये। सज्ञायाम्- V. ii. 137 उत्तमर्ण को दी जाने वाली गाय । (मन् अन्तवाले तथा म शब्दान्त प्रातिपदिकों से 'मत्वर्थ' सजायाम्-V.1.3 में इनि प्रत्यय होता है) सञ्जाविषय में। नाम अर्थ में (कम्बल प्रातिपदिक से भी 'क्रीत' अर्थ से सजायाम्-V. 1.75 - पहले पहले पठित अर्थों में यत् प्रत्यय होता है)। (निन्दित' अर्थ में वर्तमान प्रातिपदिक से स्वार्थ में कन सजायाम्- V. 1.61 प्रत्यय होता है) संज्ञा गम्यमान होने पर। (परिमाण समानाधिकरण वाले प्रथमासमर्थ त्रिंशत् तथा सज्ञायाम्-V.11.87 चत्वारिंशत् प्रातिपदिकों से षष्ठ्यर्थ में) सज्ञा का विषय (छोटा' अर्थ में वर्तमान प्रातिपदिक से) सज्ञा गम्यमान होने पर (डण् प्रत्यय होता है, ब्राह्मण ग्रन्थ अभिधेय हो हो तो (कन् प्रत्यय होता है)। तो)। सक्षायाम्-V. iii.97 सज्ञायाम्-V. ii. 23 (इवार्थ गम्यमान हो तो) संज्ञाविषय में (भी कन् प्रत्यय (हैयङ्गवीन शब्द का निपातन किया जाता है) सञ्जा- होता है)। विषय में)। .. सज्ञायाम्-V.iv. 118 सज्ञाविषयम्- V. 1. 30 (नासिका-शब्दान्त बहुव्रीहि से समासान्त अच् प्रत्यय (अव उपसर्ग प्रातिपदिक से 'नासिकासम्बन्धी झुकाव होता है) सञ्जाविषय में (तथा नासिका शब्द के स्थान में को कहना हो तो) समाविषय में (टीटच. नाटच तथा नस आदेश भी हो जाता है,यदि वह नासिका शब्द स्थूल प्रटच् प्रत्यय होते हैं)। शब्द से उत्तर न हो तो)। सज्ज्ञायाम्-v.i.71 सज्ञायाम्-V.iv. 137 (ब्राह्मणक तथा उष्णिक शब्द कन्-प्रत्ययान्त निपातन सज्जाविषय में (धनुष-शब्दान्त बहुव्रीहि को विकल्प से किये जाते हैं) सञ्जाविषय में। समासान्त अनङ् आदेश हो " सज्ञायाम्-- V. ii. 82 सजायाम्-V.iv. 143 (प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक से सप्तम्यर्थ में कन प्रत्यय (बहुव्रीहि समास में अन्यपदार्थ यदि स्त्री वाच्य हो तो होता है, यदि वह प्रथमासमर्थ बहुल करके) सञ्जाविषय दन्त शब्द के स्थान में दत आदेश हो जाता है) सज्जामें (अन्नविषयक हो तो)। विषय में। सज्ञायाम-V. 1.91 सज्ञायाम्-V.iv. 155 (साक्षात् प्रातिपदिक से देखने वाला' वाच्य हो तो) सद्भाविषय में (बहुव्रीहि समास में कप् प्रत्यय नहीं सज्ञाविषय में (इनि प्रत्यय होता है)। होता है)। सज्ञायाम्- V. ii. 110 सज्ज्ञायाम्-VI. 1. 151 (गाण्डी तथा अजग प्रातिपदिकों से मत्वर्थ' में व प्रत्यय (पारस्कर इत्यादि शब्दों में भी सुट आगम निपातन होता है) संज्ञाविषय में। किया जाता है) संज्ञा के विषय में। गाण्डीव = अर्जुन का बाण। सज्ञायाम् -VI. 1. 198 अजगव = शिव का धनुष। (उपमानवाची शब्द को) सज्ञाविषय में (आधदात्त होता
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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